गंगटोक : आगामी 16 मई को सिक्किम राज्य स्थापना की 50वीं वर्षगांठ समारोह की तैयारियों के बीच सामाजिक संगठन सिक्किमी नागरिक समाज ने सरकार से राज्य के राजनीतिक और आर्थिक-सामाजिक परिदृश्य को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण अनसुलझे मुद्दों को सुलझाने की जोरदार अपील की है। इसे लेकर संगठन ने राज्य सरकार के प्रमुख राजनीतिक नेताओं को पत्र भी लिखा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, अपने लिखे उक्त पत्र में संगठन ने सिक्किमी नेपाली समुदाय के राजनीतिक अधिकारों को बहाल करने, लिम्बू-तमांग समुदायों के लिए सीट आरक्षण सुनिश्चित करने और अनुच्छेद 371एफ के तहत सिक्किम के विशेष संवैधानिक दर्जे की रक्षा के लिए भारत सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।
एसएनएस राज्य समन्वयक सोनम ग्याछो शेरपा के अनुसार, आज जहां राज्य भारत में अपने विलय की स्वर्ण जयंती का जश्न मना रहा है, वहीं यह राज्य की प्रगति और मौजूदा चुनौतियों पर चिंतन का भी क्षण है। ऐसे में, संगठन ने क्षेत्र को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर चिंता व्यक्त की है।
उन्होंने बताया कि उनकी मुख्य मांगों में सिक्किमी नेपाली समुदाय के राजनीतिक अधिकारों की बहाली प्रमुख है। संगठन ने कहा कि यह सिक्किमी नेपाली समुदाय के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व का लंबे समय से चला आ रहा मुद्दा है। 1975 में सिक्किम के भारत में विलय से पहले राज्य में सीट आरक्षण प्रणाली थी जो भूटिया-लेप्चा और सिक्किमी नेपाली दोनों समुदायों के लिए उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करती थी। हालांकि, 1979 के राष्ट्रपति के आदेश ने सिक्किमी नेपालियों के लिए इन आरक्षणों को हटा दिया और 1980 में आश्वासन के बावजूद कोई नई प्रणाली लागू नहीं की गई। ऐसे में, संगठन ने सरकार से इस असंतुलन को दूर करने और समावेशी राजनीतिक प्रतिनिधित्व को बहाल करने का आग्रह किया है।
वहीं, लिम्बू-तमांग समुदायों के लिए विधानसभा सीट आरक्षण के बारे में संगठन ने कहा कि राज्य के लिम्बू-तमांग समुदायों को 2003 में अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया था, फिर भी उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों और दो दशकों से अधिक के इंतजार के बावजूद सिक्किम विधानसभा में आरक्षित सीटें आवंटित नहीं की गई हैं। इस संवैधानिक देरी को संबोधित करने और इन समुदायों को उनका उचित राजनीतिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता है।
वहीं, अनुच्छेद 371एफ के तहत सिक्किम के विशेष दर्जे के संरक्षण के मुद्दे पर सिक्किमी नागरिक समाज ने कहा कि भारत के साथ सिक्किम के एकीकरण समझौते का एक मूलभूत हिस्सा अनुच्छेद 371एफ, पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न विधायी और नीतिगत परिवर्तनों के माध्यम से कमजोर हुआ है। इनमें जन प्रतिनिधित्व (संशोधन) अधिनियम, 1980; आयकर अधिनियम, 1988 और वित्त अधिनियम, 2023 शामिल हैं। संगठन ने चिंता व्यक्त की कि ये परिवर्तन सिक्किम की विशिष्ट पहचान और भारत के साथ इसके विलय के दौरान किए गए वादों को कमजोर करते हैं। ऐसे में, उसने सिक्किम की विशेष संवैधानिक गारंटी की पुन: पुष्टि का आह्वान किया है।
इसके अलावा, एसएनएस ने राज्य को प्रभावित करने वाले कई अन्य आर्थिक-सामाजिक मुद्दों पर भी प्रकाश डाला है, जिनमें बढ़ती बेरोजगारी एवं रोजगार अवसरों की कमी, मादक द्रव्यों के बढ़ते सेवन एवं मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं, उच्च आत्महत्या दर एवं घटती प्रजनन दर और आर्थिक संकट एवं वित्तीय अस्थिरता शामिल हैं। संगठन ने चेतावनी दी है कि इन मुद्दों की अनदेखी सिक्किम की सामाजिक और आर्थिक प्रगति को कमजोर करती रहेगी।
एसएनएस राज्य समन्वयक सोनम ग्याछो शेरपा ने इन दीर्घकालिक मुद्दों को संबोधित करने में एकजुटता को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि पिछली असफलताओं के बावजूद सिक्किम के लोगों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होना चाहिए और इन चिंताओं को हल करने के लिए सरकार से राजनीतिक इच्छाशक्ति की मांग करनी चाहिए।
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