आयुर्वेद को आगे बढ़ाने में अनुसंधान महत्वपूर्ण : आचार्य

गंगटोक : केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रो वीडी रविनारायण आचार्य ने आयुर्वेदिक अनुसंधान के महत्व और पूर्वोत्तर भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में इसके एकीकरण के बारे में जानकारी देने के लिए आज गंगटोक स्थित क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान का दौरा किया।

इस दौरान, प्रो आचार्य ने “जैव संसाधनों से जैव अर्थव्यवस्था: विकसित भारत के लिए पूर्वोत्तर के पारंपरिक संसाधनों को बढ़ावा” विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन में मुख्‍य अतिथि के तौर पर भाग लिया।

इस अवसर पर गंगटोक आयुर्वेद संस्थान में पुनर्निर्मित औषधीय पौधों की सर्वेक्षण इकाई का उद्घाटन भी हुआ। इस नई उन्नत इकाई का उद्देश्य हिमालयी क्षेत्र में औषधीय पौधों से संबंधित अनुसंधान और संरक्षण प्रयासों को बढ़ाना है, जो संस्थान के मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में, प्रो आचार्य ने संस्थान की चल रही परियोजनाओं, उपलब्धियों और आयुर्वेद तथा औषधीय पौधों के अनुसंधान में इसके महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित करते हुए एक नया ब्रोशर भी जारी किया।

इस अवसर पर उन्होंने आयुर्वेद को आगे बढ़ाने में अनुसंधान को महत्वपूर्ण बताते हुए सिक्किम में स्वास्थ्य सेवा में इसके असाधारण योगदान के लिए आरएआरआई गंगटोक की सराहना की। उन्होंने बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के लिए संस्थान के प्रयासों और पूरे क्षेत्र में आयुर्वेदिक प्रथाओं को बढ़ावा देने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका की भी प्रशंसा की।

कार्यक्रम में आरएआरआई गंगटोक के प्रभारी सहायक निदेशक डॉ अचिंत्य मित्रा, सीसीआरएएस मुख्यालय, नई दिल्ली के अनुसंधान अधिकारी (वनस्पति विज्ञान) डॉ शिद्दामल्लया एन और एमएएचई के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सोमशीष घोष दस्तीदार ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में सीसीआरएएस मुख्यालय, नई दिल्ली के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ आरएआरआई गंगटोक के वैज्ञानिक और कर्मचारी भी शामिल हुए।

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