उत्तर सिक्किम में बचाव अभियान लगातार जारी : मिंग्मा टी. शेरपा

अधिकतर पर्यटक सुरक्षित निकाले गए

गंगटोक : उत्तर सिक्किम के मंगन जिले में विगत 30 मई की रात आई विनाशकारी प्राकृतिक आपदा के बाद उत्पन्न परिस्थितियों से निपटने हेतु सिक्किम सरकार ने बड़े पैमाने पर राहत और बचाव अभियान शुरू किया है। लगातार बारिश से शुरू हुई इस आपदा के कारण बड़े पैमाने पर भूस्खलन, सड़कें टूटने और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचने से क्षेत्र में गंभीर व्यवधान पैदा हो गया है।

मंगलवार को यहां एक संवाददाता सक्वमेलन में राज्य के भूमि राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के राहत आयुक्त सह सचिव मिंग्मा टी. शेरपा ने प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान और किए जा रहे उपायों का विवरण दिया। उन्होंने बताया कि भारी बारिश के कारण तीस्ता नदी का जल स्तर खतरे के निशान को पार कर गया, जिससे क्षेत्र के बड़े हिस्से जलमग्न हो गए और चुंगथांग, लाचेन और लाचुंग के बीच प्रमुख सड़क संपर्क टूट गया है। सिंगताम से इन ऊंचाई वाले शहरों तक सड़क संपर्क 31 मई को कट गया था।

वहीं, अकेले जंगू क्षेत्र में लगभग 3300 घर प्रभावित हुए हैं। इसके जवाब में, राज्य सरकार ने तुरंत प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को सूचित करते हुए सहायता के लिए केंद्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय किया है। इसके तहत, एक जून से फंसे हुए लोगों को हवाई मार्ग से निकालने का काम शुरू हुआ और दो जून तक 1800 से अधिक पर्यटकों, जिनमें बीमार और बुजुर्ग भी शामिल थे,- को अवरुद्ध मार्गों से बचाया गया। सेना, आईटीबीपी और एनडीआरएफ के सहयोग से बचाव कार्य जारी रखते हुए 3 जून तक लाचुंग और चुंगथांग में बिजली और मोबाइल नेटवर्क को बड़े पैमाने पर बहाल कर दिया गया।

शेरपा ने बताया, खाद्य, पानी और चिकित्सा आपूर्ति सहित राहत सामग्री जुटाई गई है और आसानी से उपलब्ध है। वहीं, मुख्यमंत्री, अधिकारी और पुलिस महानिदेशक चल रहे प्रयासों की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं। जबकि कुछ क्षेत्र, खास कर चुंगथांग में लगातार भूस्खलन और टूटे हुए पुलों के कारण पहुंचना अभी भी मुश्किल है। चुंगथांग और लाचेन के बीच चार-पांच पुलों को बड़ी क्षति हुई है, जबकि राज्य के गंगटोक, नामची, पेलिंग, गेजिंग और नाथुला पास जैसे अधिकांश अन्य हिस्से पर्यटकों के लिए सुरक्षित और खुले हैं। शेरपा ने आगे कहा कि राज्य सरकार ने समन्वित राहत अभियान और वित्तीय सहायता सुनिश्चित करने हेतु इस घटना को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत आधिकारिक तौर पर आपदा घोषित किया है। इसके साथ ही उन्होंने स्थानीय प्रशासन, सुरक्षा बलों और आपदा प्रतिक्रिया टीमों के क्षेत्र कर्मियों के अथक प्रयासों को स्वीकार करते हुए प्रतिकूल परिस्थितियों में उनके चौबीसों घंटे काम की सराहना की।

इसके अलावा, राज्य में पिछले साल की ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (जीएलओएफ) घटना के मद्देनजर शेरपा ने कहा कि हमारा ध्यान समन्वित वसूली पर है, न कि धन की तलाश पर। केंद्र सरकार ने जरूरत पड़ने पर आगे भी सहायता देने का वादा किया है। उन्होंने नागरिकों से शांत रहने और घबराहट से बचने का आग्रह किया और पर्यटकों को सिक्किम के अप्रभावित क्षेत्रों में आने के लिए आमंत्रित भी किया। उनके अनुसार, प्रभावित क्षेत्रों, विशेष रूप से लाचेन की स्थिति जुलाई तक पूरी तरह सुधर जाने की उम्मीद है।

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