गंगटोक । सिक्किम से राज्यसभा सांसद डीटी लेप्चा ने मंगलवार को केंद्र सरकार से सिक्किम के 12 वंचित जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का अनुरोध किया। संसद में इस मुद्दे को उठाते हुए लेप्चा ने कहा कि सिक्किम के लोगों को तीन जातीय समूहों लेप्चा, भूटिया, नेपाली में वर्गीकृत किया गया है।
उन्होंने आगे कहा कि सिक्किम में 20 स्वदेशी जनजातियां रहती हैं। संसद सत्र में बोलते हुए राज्यसभा सांसद ने कहा कि प्रारंभिक उपलब्ध जनगणना 1891 के अनुसार नेपाली जातीय समूह 63.3 प्रतिशत, भूटिया 16.06 प्रतिशत और लेप्चा 18.9 प्रतिशत थे। लेप्चा ने यह भी बताया कि सिक्किम के राजा ने पहले भूटिया, लेप्चा और नेपालियों को जनजातियों के रूप में मान्यता दी थी। उन्होंने कहा कि सिक्किम का भारत में विलय 1975 में हुआ था। 1978 में संविधान ने सिक्किम में केवल भूटिया और लेप्चा को अनुसूचित जनजाति के रूप में रखने का आदेश दिया, हालांकि, नेपालियों ने राज्य विधानसभा में अपना सीट आरक्षण खो दिया।
लेप्चा के अनुसार, नेपाली जातीय समूह के दो समुदायों, लिम्बू और तमांग को 2003 में अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया था। इस बात पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सिक्किम की मूल आबादी कम हो रही है। सांसद ने कहा कि जनसंख्या में जल्द ही कमी आएगी और अगर उनकी सुरक्षा नहीं की गई तो उनके राजनीतिक अधिकार प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि नेपाली जातीय समूह के 12 समुदाय ऐसे हैं, जिन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाना आवश्यक है।
उन्होंने आगे कहा कि यदि इन समुदायों को जनजातीय बना दिया जाए तो सिक्किम को अन्य पूर्वोत्तर राज्यों की तरह जनजातीय राज्य घोषित किया जा सकता है। लेप्चा ने कहा कि केवल जनजाति ही विधानसभा सीटों पर कब्जा करेंगे। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि 4.5 लाख से अधिक की छोटी आबादी को अन्य राज्यों से आने वाले लोगों के कारण होने वाले नुकसान से बचाने की जरूरत है।
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