गंगटोक । सिक्किम के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (गोले) के नेतृत्व वाली Sikkim Krantikari Morcha (एसकेएम) ने प्रचंड बहुमत के साथ जीत हासिल की है। सीएम गोले ने खुद दो विधानसभा क्षेत्रों से जीत हासिल की है। कभी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के संस्थापक और पूर्व सीएम पवन चामलिंग को अपना राजनीतिक गुरु मानने वाले गोले ने एसडीएफ के खिलाफ ही विरोध की आवाज को बुलंद किया था। इसके बाद लगातार दो चुनावों में एसकेएम ने एसडीएफ को करारी शिकस्त देकर सत्ता का सिंहासन हासिल किया।
Prem Singh Tamang (Golay) का जन्म 5 फरवरी 1968 को पश्चिम सिक्किम के सिंग्लिंग बस्ती में हुआ था। उनके पिता का नाम कालू सिंह तमांग और मां का नाम धन माया तमांग है। शुरुआती शिक्षा हासिल करने के बाद गोले ने 1988 में दार्जिलिंग गवर्नमेंट कॉलेज से कला में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। राजनीति में आने से पहले गोले सरकारी शिक्षक थे। हालांकि, शिक्षक की नौकरी के बदले उनकी सामाजिक कार्यो में अधिक रूचि रही। इसी वजह से वे बाद में सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) की राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया और पार्टी के सदस्य बन गए। इसके बाद उन्होंने सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और एसडीएफ के स्थाई सदस्य बन गए।
वर्ष 1994 में गोले ने अपने जीवन का पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। एसडीएफ के टिकट पर सोरेंग चाकुंग सीट से चुनाव लड़कर उन्होंने पहली जीत भी दर्ज की। 1994 से 1999 तक वे पशुपालन, चर्च और उद्योग विभाग के मंत्री रहे। 1999 के विधानसभा चुनाव में में वे एक बार फिर से सोरेंग चाकुंग विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। वर्ष 1999 से लेकर 2004 तक उन्होंने राज्य के उद्योग और पशुपालन मंत्री के रूप में कार्य किया। अगले चुनाव यानी वर्ष 2004 में उन्होंने एक बार फिर से चाकुंग निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार सतीश मोहन प्रधान को हराकर जीत दर्ज की। इसी के साथ वे राज्य के भवन एवं आवास विभाग के मंत्री बने। 2009 में प्रेम सिंह तमांग (गोले) ने अपर बुर्तुक से चुनाव लड़ा और कांग्रेस प्रत्याशी अरुण कुमार राई को मात दी। चुनाव के तुरंत बाद उन्हें उद्योग विभाग का अध्यक्ष चुना गया हालांकि, उन्होंने अध्यक्ष के रूप में काम नहीं किया।
दरअसल, 2009 में सिक्किम के कर्मचारियों द्वारा रोलू पिकनिक कार्यक्रम के बाद गोले और एसडीएफ के बीच मनभेद हो गया। इसकी वजह यह थी कि सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। इस घटना के बाद से एसडीएफ से गोले की दूरियां बढ़ने लगीं थीं। इसके बाद वह पार्टी के बागी विधायकों की श्रेणी में शामिल हो गए। समय के साथ-साथ वे प्रत्यक्ष रूप से एसडीएफ का विरोध करने लगे थे। इसके बाद वर्ष 2013 में उन्होंने आधिकारिक रूप से एसडीएफ से पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया।
वर्ष 2013 में एसडीएफ से प्रेम सिंह तमांग (गोले) के इस्तीफे के बाद राज्य में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) नाम से नई पार्टी अस्तित्व में आई। गोले ने पार्टी का गठन किया और 2014 के विधानसभा चुनाव में ताल ठोक दी। इस दौरान एसकेएम ने राज्य की 32 में से 10 सीटों पर जीत दर्ज की। 43 प्रतिशत मतदान प्रतिशत के साथ राज्य में एसकेएम के लिए अच्छी शुरुआत थी। कह सकते हैं कि यह समय चामलिंग के नेतृत्व वाली एसडीएफ के लिए एक चुनौती की तरह था। 2014 के चुनाव में एसडीएफ ने 22 सीटें जीतीं और पवन कुमार चामलिंग लगातार पांचवीं बार सीएम बने थे।
वर्ष 2014, जब सिक्किम में पहली बार चुनाव लड़ रही एसकेएम ने विधानसभा चुनाव में 10 सीटों पर जीत दर्ज की, इसके ठीक बाद गोले पर सरकारी धन की हेराफेरी का आरोप लगा। आरोप था कि सिक्किम सरकार में पूर्व मंत्री रहते हुए गोले ने सरकारी खजाने का दुरुपयोग किया। अदालत ने भी इस मामले में गोले को दोषी करार दिया और प्रेम सिंह तमांग (गोले) को अपनी विधायकी गंवानी पड़ी। इसके बाद 2019 के विधानसभा चुनाव में कुछ विचित्र हुआ।
समय बदला और इसके बाद वर्ष 2019 में राज्य में पहली बार गोले के नेतृत्व वाली एसकेएम ने राज्य में पहली बार जीत दर्ज की। ये वो पल था जब, 24 वर्ष, पांच महीने और 15 दिन तक काबिज रही पवन कुमार चामलिंग की सरकार को सत्ता से बाहर होना पड़ा। एसकेएम में 17 सीटों पर जीत हासिल कर सत्ता पर काबिज हुई। राज्य में पवन कुमार चामलिंग सरकार का अस्त हुआ और प्रेम सिंह तमांग (गोले) सरकार का उदय हो गया। खास बात यह है कि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे गोले ने इस बार चुनाव नहीं लड़ा। इसके बावजूद, उन्होंने सिक्किम के छठे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। सीएम बनने के बाद गोले ने पोकलोक-कामरांग विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
इस बार यानी वर्ष 2024 में गोले ने अपने जनाधार पर फिर एक बार मुहर लगा दी और जिन दो सीटों से उन्होंने चुनाव लड़ा, वहां उन्हें जीत हासिल हुई। सोरेंग-चाकुंग और रेनॉक सीटों पर जीत दर्ज कर गोले ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि जनता के बीच उनकी मजबूत पकड़ है।
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