गंगटोक । हरकारा की प्रतिमा का उद्घाटन शनिवार को पट्टिका का अनावरण और रिबन काटकर किया गया। इसका उद्घाटन सिक्किम और उत्तर बंगाल क्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल अखिलेश कुमार पांडे द्वारा किया गया, जिसके बाद नोडल डिलीवरी सेंटर, गंगटोक प्रधान कार्यालय की स्कूटियों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।
हरकारा या डाक धावक वे लोग हैं जो डाक और ईमेल के दिनों से पहले संदेश पहुंचाने का काम करते थे। मध्यकालीन भारत में इतिहासकारों ने भारत में संचार के लिए घोड़े और पैदल चलने वालों के अस्तित्व का उल्लेख किया है। यद्यपि घोड़ों का उपयोग तत्काल वितरण के लिए किया जाता था, लेकिन इस प्रणाली का मुख्य आधार वास्तव में पैदल धावक था जिसे हरकारा या डाक धावक कहा जाता था। धावक अपने साथ एक लकड़ी का टुकड़ा रखते थे, जिसमें अक्सर घुंघरू या घंटियां लगी होती थीं, जो दौड़ते समय झनझनाती थीं तथा डाक से भरा छोटा थैला इसी टुकड़े में रखा जाता था।
हाल ही में की गई पहल के अनुसार गंगटोक के नगरपालिका क्षेत्रों में पार्सलों की मशीनीकृत और केंद्रीकृत डिलीवरी के लिए नोडल डिलीवरी सेंटर (एनडीसी), गंतव्य स्थानों पर सुरक्षित डिलीवरी के लिए पार्सलों की गुणवत्तापूर्ण पैकेजिंग के लिए पार्सल पैकेजिंग यूनिट (पीपीयू), स्थानीय निर्यातकों के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजार प्राप्त करने के लिए डाक घर निर्यात केंद्र (डीएनके) की स्थापना की गई है, जिसे गंगटोक प्रधान डाकघर में स्थापित किया गया है।
पोस्टमास्टर जनरल ने अपने संबोधन में गंगटोक प्रधान डाकघर में हरकारा प्रतिमा के अनावरण को भारत के डाक विभाग की समृद्ध विरासत को जनता और डाक कर्मचारियों के समक्ष प्रदर्शित करने की एक पहल के रूप में रेखांकित किया। हरकारा प्रतिमा प्रत्येक व्यक्ति को हमारे अतीत तथा सदियों से डाक प्रणाली में हुई प्रगति की याद दिलाती रहेगी। एनडीसी, गंगटोक में दो स्कूटियों की शुरूआत से अंतिम मील डिलीवरी की क्षमता मजबूत होगी और ग्राहकों को काफी लाभ मिलेगा।
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