लिम्बू-तमांग मामले पर राजनीति फिर गरमाई : मुख्यमंत्री के बयान पर एसडीएफ ने किया पलटवार

गंगटोक : राज्य में एक बार फिर लंबे समय से लंबित संवैधानिक मांगों का मुद्दा गरमा गया है और इसके साथ ही आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति भी शुरू हो गई है। इस सप्ताह संसद से लेकर विधानसभा और सार्वजनिक कार्यक्रमों तक छूटे हुए 12 जातीय समूहों को जनजाति का दर्जा देने की मांग, लिम्बू-तामांग समुदाय को विधानसभा में जनजातीय सीट आरक्षण तथा 17वें करमापा के सिक्किम दौरे का मुद्दा चर्चा में रहा। इसके साथ ही राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी फिर से तेज हो गया है।

इसी क्रम में आज सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF) पार्टी ने एक पत्रकार सम्मेलन आयोजित कर लिम्बू-तमांग को जनजातीय सीट आरक्षण के मुद्दे पर कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री प्रेमसिंह तामांग द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन किया और उलटे मुख्यमंत्री तथा सत्तारूढ़ सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) पर आरोप लगाए।

स्थानीय इंदिरा बाइपास स्थित पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए एसडीएफ प्रवक्ता अरुण लिम्बू ने आरोप लगाया कि वर्तमान मुख्यमंत्री प्रेमसिंह तमांग और एसकेएम पार्टी की वजह से ही एसडीएफ सरकार के कार्यकाल में लिम्बू और तमांग समुदाय को राज्य विधानसभा में जनजातीय सीट आरक्षण नहीं मिल सका। उनके अनुसार, एसडीएफ सरकार एलटी सीट के मुद्दे को सुलझाने के लिए पूरी तरह तैयार थी, लेकिन कथित रूप से एसकेएम पार्टी के निर्देश पर कुछ व्यक्तियों और संगठनों द्वारा देश के सर्वोच्च न्यायालय में मामला दायर किए जाने के कारण यह विषय सब-जुडिस हो गया और वहीं अटक गया।

उल्लेखनीय है कि 15 दिसंबर को गंगटोक जिले के रानीपुल के पास सरमसा गार्डन में प्री-चासोक तोंगनाम पर्व को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री तामांग ने कहा था कि लिम्बू और तमांग समुदाय को दो दशकों से अधिक समय तक अपने संवैधानिक अधिकारों से वंचित रहने के लिए पूर्ववर्ती एसडीएफ सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि वर्ष 2006 में परिसीमन के दौरान एसडीएफ सरकार के पास अवसर था, लेकिन उसने उसे गंवा दिया और उस समय सरकार ने इच्छाशक्ति नहीं दिखाई।

अरुण लिम्बू (Arun Limboo) ने मुख्यमंत्री के इस बयान का खंडन करते हुए उसकी कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि उस समय राज्य की परिसीमन समिति में तत्कालीन मंत्री और वर्तमान मुख्यमंत्री प्रेमसिंह तामांग स्वयं भी सदस्य थे। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि अन्य सदस्यों ने मौका चूक दिया, तो वर्तमान मुख्यमंत्री ने स्वयं पहल क्यों नहीं की। अरुण लिम्बू ने दावा किया कि वास्तव में एलटी सीट को रोकने के लिए पी.एस. गोले और एसकेएम पार्टी जिम्मेदार हैं, जिस पर एसडीएफ पार्टी पहले ही एक श्वेत पत्र जारी कर चुकी है।

Arun Limboo ने कहा कि लिम्बू-तमांग और जनजातीय मुद्दों पर मुख्यमंत्री तमांग और एसकेएम सरकार दोहरा रवैया अपना रही है। उन्होंने कहा कि एक ओर मुख्यमंत्री राज्य स्थापना की स्वर्ण जयंती के अवसर पर पूछे जाने पर कहते हैं कि वह एलटी सीट और जनजातीय मान्यता चाहते हैं, जबकि दूसरी ओर प्रधानमंत्री से मिलने पर कहते हैं कि उन्हें कुछ नहीं चाहिए, बस प्रधानमंत्री कुछ मिनटों के लिए ही सही, सिक्किम आ जाएं। उन्होंने इसे मुख्यमंत्री का पाखंड बताया।

इसके अलावा, अरुण लिम्बू ने एलटी सीट के फॉर्मूले को लेकर भी एसकेएम सरकार पर सवाल उठाए और कहा कि यदि सरकार में साहस है, तो वह एसडीएफ सरकार की तरह स्पष्ट फॉर्मूला सार्वजनिक करे। अरुण लिम्बू ने आरोप लगाया कि भाषणों में लिम्बू समुदाय के प्रति सहानुभूति दिखाने वाले मुख्यमंत्री तमांग व्यवहार में इस समुदाय का अपमान करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि एसकेएम सरकार ने पद्मश्री बीबी मुरिंगला और पूर्व मुख्यमंत्री संचमान लिम्बू के अंतिम संस्कार के दौरान दिया जाने वाला राजकीय सम्मान तक नहीं दिया। इस संदर्भ में उन्होंने मांग की कि एसकेएम सरकार पूरे लिम्बू समुदाय से सार्वजनिक रूप से माफी मांगे और उनकी जयंती पर सम्मान व्यक्त करे।

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