गंगटोक । राजधानी गंगटोक की पीएमएलए अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर धन शोधन के एक मामले में सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। पीएमएलए विशेष न्यायाधीश, गंगटोक ने कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के तहत आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मामले में बढ़ने के पर्याप्त आधार नहीं होने के कारण मुकदमे को आगे बढ़ाना व्यर्थ होगा।
विशेष अदालत ने पिछले दिनों दिए गए अपने आदेश में ईडी को जांच के दौरान जब्त की गई आरोपी व्यक्तियों की संपत्तियों को जारी करने का भी निर्देश दिया। ये सभी आरोपी स्टॉक एक्सचेंज ट्रेडिंग कंपनियों के मालिक हैं जो स्टांप शुल्क की कथित चोरी की शिकायत में भी आरोपी हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, ईडी ने मई 2022 में एक स्थानीय व्यक्ति की शिकायत के बाद आईपीसी की धारा 120बी, 420, 468 और 471 के तहत उसी महीने सिक्किम सतर्कता पुलिस द्वारा दर्ज मामले के आधार पर छह आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ ईसीआईआर दर्ज किया था। यह शिकायत फरवरी 2022 में राष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियां बनी सिक्किमी व्यापारियों के एमसीएक्स व्यापार में अभूतपूर्व वृद्धि की रिपोर्ट से संबंधित थी, जो लगभग 45000 करोड़ रुपए का है। वहीं, इस पर अपनी जांच के बाद ईडी ने गंगटोक के विशेष पीएमएलए न्यायाधीश के समक्ष आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ पीएमएलए 2002 की धारा 44 और 45 के तहत अपनी शिकायत दर्ज की थी।
गौरतलब है कि 2020 के अगस्त में वित्त मंत्रालय के निर्देशानुसार सिक्किम के व्यापारियों को एमसीएक्स, एनएसई तथा बीएसई प्लेटफार्मों पर व्यापार करते समय स्टांप शुल्क के भुगतान से छूट दी गई है। ऐसे में यह आरोप था कि आरोपियों ने स्टांप शुल्क के भुगतान से बचने के इरादे से अपने पंजीकृत कार्यालय को क्रमश: कोलकाता और गांधीनगर से जोरथांग और गंगटोक में स्थानांतरित कर दिया और 2020 से अप्रैल 2022 तक एमसीएक्स और एनएसई पर व्यापार करना शुरू कर दिया। ऐसा कर आरोपी स्टॉक एक्तचेंज मालिकों ने कुल 3.44 करोड़ रुपए की स्टांप शुल्क छूट का लाभ उठाया है।
ED के अनुसार, आरोपियों ने स्टांप शुल्क छूट के लिए पात्र न होने के बावजूद एमसीएक्स, एनएसई प्लेटफॉर्म पर अवैध तरीके से कारोबार किया। इसके अलावा, आरोपियों ने संबंधित अधिकारियों को स्टांप शुल्क के भुगतान से बचने के लिए सिक्किम व्यापार लाइसेंस और विविध प्रावधान नियम 2011 के तहत अपनी कंपनियों को पंजीकृत नहीं किया या व्यापार लाइसेंस प्राप्त नहीं किया। इस पर, विशेष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि केवल सिक्किम स्थित व्यापारियों को प्रदान की गई कर छूट का लाभ उठाने और इस तरह कथित तौर पर स्टांप शुल्क/करों की चोरी करके खुद को समृद्ध बनाने के आरोपी व्यक्तियों के कृत्य को ‘आपराधिक आय’ की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है।
विशेष अदालत ने अपने आदेश में कहा, यह ध्यान रखना प्रासंगिक होगा कि मनी लॉन्ड्रिंग में अवैध गतिविधियों से प्राप्त आय को संभालना शामिल है, जो अधिनियम की अनुसूची में शामिल हैं। यदि कथित अपराध (जो इस मामले में स्टांप शुल्क की चोरी और व्यापार लाइसेंस प्राप्त न करना है) अनुसूची के अनुसार एक अनुमानित अपराध नहीं है, तो आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप नहीं लगाया जा सकता’। विशेष अदालत ने आगे कहा कि सिक्किम स्थित व्यापारियों को दिखाकर स्टांप शुल्क चोरी के आरोपों को भारतीय स्टांप अधिनियम 1899 या सिक्किम व्यापार लाइसेंस एवं विविध प्रावधान 2011 के नियम के तहत स्टांप शुल्क के उल्लंघन के लिए उचित कानून के तहत निपटाया जाना चाहिए।
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