मत्स्य पालन पर जागरुकता कार्यक्रम आयोजित

मंगन : राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, हैदराबाद द्वारा समर्थित जनजातीय उपयोजना के अंतर्गत मंगन जिला मत्स्य पालन विभाग द्वारा आज अनुसूचित जनजाति लाभार्थियों के लिए एक जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में पासिंगडांग, ज़ंगू ब्लॉक प्रशासनिक केंद्र में केंद्र एवं राज्य की प्रमुख मत्स्य पालन योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया।

इसका प्राथमिक उद्देश्य जोंगू क्षेत्र के स्थानीय मत्स्यपालकों और लाभार्थियों को सरकारी योजनाओं के प्रति जागरूक करना था। इसमें लिंगथेम, लिंगदेम, नूम पनांग, ही-ग्याथांग, ब्रिंगकाटम-राबाम और लिंगडोंग के मत्स्यपालकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

कार्यक्रम में पासिंगडांग बीडीओ सह नोडल अधिकारी डॉ महेंद्र तमांग मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उनके साथ मत्स्य पालन अधिकारी युवराज शर्मा, आरओ सोनम भूटिया, बीओ रोशन सुब्बा, वोंगचुक लाचुंगपा एवं पालजोर भूटिया, एएफजी सोनम कागाटे एवं कृतिका शर्मा और अन्य उपस्थित थे।

कार्यक्रम का उद्घाटन मत्स्य पालन विभाग के एडी द्वारा दिए गए स्वागत भाषण के साथ हुआ, जिसमें कार्यक्रम के उद्देश्य को रेखांकित किया गया, जो सरकारी योजनाओं और जमीनी स्तर के लाभार्थियों के बीच सूचना के अंतर को पाटना था। उन्होंने मत्स्य पालन क्षेत्र की स्थिति और एसटी के लिए डिज़ाइन की गई जनजातीय उप-योजना (टीएसपी) के तहत विशिष्ट प्रावधानों का एक व्यापक अवलोकन भी प्रदान किया।

इस अवसर पर मुख्‍य अतिथि डॉ तमांग ने आर्थिक विकास के इंजन के रूप में मत्स्य पालन की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने ठंडे पानी के कृषि के लिए निर्वाचन क्षेत्र की प्राकृतिक उपयुक्तता पर जोर दिया और किसानों से मत्स्य पालन को एक लाभदायक और टिकाऊ उद्यम के रूप में अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने लोगों को अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने और क्षेत्र के समग्र विकास में योगदान देने के लिए विभिन्न विभागीय योजनाओं का सक्रिय रूप से लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया।

इस दौरान, तकनीकी सत्र में ब्लॉक अधिकारी रोशन सुब्बा ने पीएमएमएसवाई, पीएमएमकेएसएसवाई, एफआईडीएफ और जीएआईएस जैसी मत्स्य विभाग की प्रमुख योजनाओं पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी और जलीय कृषि बीमा और मुख्यमंत्री मत्स्य उत्पादन योजना जैसे विशिष्ट लाभों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में एक संवादात्मक सत्र भी हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने समस्याओं पर चर्चा की और सतत मत्स्य पालन के भविष्य के लिए रणनीतियां तैयार कीं।

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