हमले के खिलाफ शांति जुलूस 11 मार्च को
गंगटोक । राज्य की विपक्षी पार्टियों ने एकजुट होकर कहा है कि राज्य में कानून का राज नहीं है, कानून व्यवस्था चरमरा गयी है, ऐसे में शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव नहीं हो सकते, इसलिए चुनाव राष्ट्रपति शासन के अधीन ही कराया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि एसडीएफ के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री तथा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष केएन राई पर हुए जानलेवा हमले के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग तेज होने लगी है। वहीं, आज राजधानी में हुई विपक्षी दलों की सर्वदलीय बैठक में भी यह मांग उठाई गई। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी ने सीधे तौर पर इसका समर्थन नहीं किया है।
आज दोपहर एक स्थानीय होटल में विपक्षी दलों की सर्वदलीय बैठक हुई। बैठक का उद्देश्य राज्य में राजनीतिक हिंसा की कथित घटनाओं के खिलाफ एकजुटता प्रकट करना था। बैठक में सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, भारतीय जनता पार्टी और सिक्किम रिपब्लिकन पार्टी के प्रतिनिधि उपस्थित थे, जबकि सिक्किम प्रदेश कांग्रेस अपने संगठनात्मक कार्यक्रमों में व्यस्त होने के कारण बैठक में शामिल नहीं हुई। इसी प्रकार, सिटिज़न एक्शन पार्टी, सिक्किम ने भी अपना संवैधानिक समर्थन व्यक्त किया है।
बैठक में कुछ प्रस्ताव पारित किए गए, जिनमें राज्य में आगामी चुनाव शांतिपूर्ण और सुरक्षित माहौल में कराने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग प्रमुख है। हालांकि, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट पार्टी के प्रवक्ता और पूर्व लोकसभा सांसद पीडी राई ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इसका समर्थन नहीं करती। भाजपा ने कहा है कि इस बारे में पार्टी में बात करने जा रही है।
वहीं, आज की बैठक में पारित अन्य प्रस्तावों में पिछले पांच वर्षों में राज्य में कानून-व्यवस्था ध्वस्त होने, वरिष्ठ राजनेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष केएन राई पर हुए हमले का विरोध आदि शामिल हैं। आज हुई सर्वदलीय बैठक में आगामी चुनाव में विपक्षी दलों के गठबंधन का कोई संकेत नहीं मिलने के सवाल के जवाब में पीडी राई ने कहा कि भविष्य में इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस बार विपक्षी दल राज्य में शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से ही एक मंच पर आए। इसके अलावा बैठक में 11 मार्च को राजधानी में संयुक्त शांति जुलूस निकालने का भी निर्णय लिया गया।
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