शिक्षित समाज ही राष्ट्र की उन्नति और समरसता की नींव रखता है : प्रो शांतनु कुमार स्वाईं

गंगटोक : सिक्किम विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस बड़े उत्साह और गरिमा के साथ मनाया गया। इस वर्ष समारोह का विषय था-शिक्षा की शक्ति और उद्देश्य। इस अवसर पर कुलपति प्रो शांतनु कुमार स्वाईं (Prof. Santanu Kumar Swain) ने मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित होकर प्रेरक विचार व्यक्त किए।

अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि शिक्षा एक आजीवन प्रक्रिया है, जो न केवल व्यक्ति को ज्ञान प्रदान करती है, बल्कि उसमें आलोचनात्मक चिंतन और समस्या-समाधान की क्षमता भी विकसित करती है। उन्होंने कहा कि शिक्षित समाज ही राष्ट्र की उन्नति और समरसता की नींव रखता है। राष्ट्रीय शिक्षा दिवस हर वर्ष 11 नवम्बर को भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती पर मनाया जाता है।

भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2008 में इस दिवस को औपचारिक रूप से मनाने की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य मौलाना आजाद के भारतीय शिक्षा प्रणाली में योगदान को नमन करना और समावेशी व प्रगतिशील समाज के निर्माण के उनके दृष्टिकोण को आगे बढ़ाना है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय समुदाय ने यह संकल्प लिया कि वे शिक्षा के महत्व को समाज के हर स्तर तक पहुंचाने में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।

कार्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थियों और शिक्षकों को यह स्मरण कराया गया कि शिक्षा ही राष्ट्र निर्माण का सशक्त आधार है और इसके माध्यम से सामाजिक परिवर्तन संभव है। विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग द्वारा अक्टूबर और नवम्बर माह में विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे क्विज़, वाद-विवाद और एक्सटेम्पोर आयोजित की गईं। इन गतिविधियों का उद्देश्य छात्रों को शिक्षा के परिवर्तनकारी स्वरूप पर विचार साझा करने और देश की शैक्षिक नीतियों पर सार्थक विमर्श में भाग लेने का अवसर प्रदान करना था।

प्रतियोगिताओं के विषय शिक्षा क्षेत्र की वर्तमान चुनौतियों और संभावनाओं पर आधारित रहे। कार्यक्रम के अंत में आयोजित प्रतियोगिताओं के परिणाम घोषित किए गए। कुलपति प्रो शांतनु कुमार स्वाईं ने विजेता विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र प्रदान कर सम्मानित किया और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

 

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