मंगन । उत्तर सिक्किम में फिदांग, ही ग्याथांग, सांगकलांग और मांगशिला के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का आज जंगू विधायक सह राज्य के वन व पर्यावरण मंत्री पिंछो नामग्याल लेप्चा ने व्यापक सर्वेक्षण किया। इस दौरान, मंत्री के साथ विभागीय सचिव सह भूमि राजस्व व आपदा प्रबंधन राहत आयुक्त नम्रता थापा, जोंगू एसडीएम अरुण छेत्री, बीडीओ मणि कुमार राई, डीएफओ (टी) शेतेन वांग्याल लाचुंगपा, एसीएफ मंजिल खरेल, वन विभाग के आरओ ओंग्याल लेप्चा एवं संबंधित विभागीय व पुलिस अधिकारी भी थे।
इस व्यापक निरीक्षण के दौरान टीम ने फिदांग ब्रिज, ही ग्याथांग, अम्बिथांग, सांगकलांग एवं अन्य क्षेत्रों के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों का अवलोकन कर नुकसान का जायजा लिया। इसमें टीम ने 320 फीट लंबी नवनिर्मित फिदांग बेली सस्पेंशन ब्रिज का निरीक्षण किया। वहां, अधिकारियों ने ग्रेफ के मुख्य अभियंता से बातचीत की। इस अवसर पर स्थानीय लोगों ने उन्हें अपनी शिकायतों से अवगत कराया। इसके बाद, फिदांग से ही ग्याथांग जाते समय टीम को डेटक्योंग से गुजरना पड़ा, जहां त्रिशक्ति कोर के सेना इंजीनियरों द्वारा बीआरओ की मदद से एक बेली पुल का निर्माण किया गया है।
वहां से टीम चार प्रमुख भूस्खलन प्रभावित स्थलों पर पहुंची। इनमें ग्नोन में एक और सुधुर वार्ड में तीन स्थान शामिल हैं। वहां, अधिकारियों ने आपदा से भूमि और बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान का आकलन किया और उपाध्याक्ष सोनम किपु द्वारा जंगू के कटे हुए क्षेत्रों में नुकसान की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। टीम ने वहां तत्काल पुनर्वास की आवश्यकता बतायी। टीम ने यह भी बताया कि राज्य सरकार की ओर से तत्काल राहत ने भूस्खलन से बह गए मार्गों को बहाल करने में महत्वपूर्ण मदद की है। वहीं, अधिकारियों की सहायता से स्थानीय लोगों ने मलबा साफ कर सड़कों को फिर से खोल दिया है।
इसके बाद, टीम ने अम्बिथांग के भूस्खलन क्षेत्र का दौरा किया, जहां उन्हें क्षेत्र में हुई मौतों और बुनियादी ढांचे के नुकसान के बारे में जानकारी दी गई। इनमें प्रभावितों के पुनर्वास की आवश्यकता, स्कूल तक पहुंच में कमी आदि शामिल हैं। वहां से टीम ने सांगकलांग का दौरा किया और मंगन डीसी अनंत जैन, एसडीएम पेमा वांगचेन नामकरपा और चुंगथांग एसडीएम किरण ठटाल से मुलाकात की। उन्होंने राफोंग खोला (नागा, टूंग, चुंगथांग, लाचेन और लाचुंग) से आगे के क्षेत्रों में हुए नुकसान की सीमा पर एक संक्षिप्त रिपोर्ट प्रदान की।
सांगकलांग के बाद टीम ने टिंगजे और अपर झूसिंग का दौरा किया। यह क्षेत्र पहले कभी भूस्खलन से प्रभावित नहीं हुआ था, लेकिन इस बार आई आपदा से निवासियों को काफी परेशानी उठानी पड़ी है। वहां स्थानीय लोगों ने पूरी तरह बहे एवं आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए घरों की संख्या पर एक रिपोर्ट पेश की और पुनर्वास के लिए भूमि आवंटन एवं नए घरों के निर्माण का आग्रह किया।
इस सर्वेक्षण के बाद मंत्री लेप्चा ने क्षेत्र में अस्थिरता और बार-बार होने वाले भूस्खलन को दूर करने के लिए स्थायी और स्थायी समाधान की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उनके अलावा, सचिव थापा ने स्थानीय लोगों के सहयोग और सक्रिय प्रयासों की सराहना की।
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