हरित क्रांति की ध्वजवाहक बनी ‘मेरो रुख मेरो संतति’ पहल

गंगटोक : सिक्किम की हरी-भरी पहाडिय़ों में एक शांत लेकिन शक्तिशाली हरित क्रांति आकार ले रही है। दो साल पहले 2 फरवरी को मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग द्वारा गंगटोक के मनन केंद्र में शुरू की गई ‘मेरो रुख मेरो संतति’ पहल ही इस हरित क्रांति की ध्वजवाहक है।

वर्तमान में राज्य की एक प्रमुख पहल- मेरो रुख मेरो संतति एक प्रेरणादायक माइलस्टोन पर पहुँच गई है और अब तक कुल 5552 परिवारों ने हर नवजात शिशु के लिए 108 पौधे लगाने के लिए पंजीकरण कराया है। यह परंपरा, पर्यावरण और सामुदायिक भावना को मिलाकर एक असाधारण जमीनी आंदोलन को दर्शाता है। ऐसे में, अब यह अभियान सिर्फ़ पौधारोपण अभियान से कहीं बढ़कर सिक्किम के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक लोकाचार में निहित है, जिसका उद्देश्य एक गहरे प्रतीकात्मक संकेत के माध्यम से पर्यावरणीय जिम्मेदारी को मजबूत करना है। इस पहल में एक बच्चे के जन्म को चिह्नित करने के लिए 108 पेड़ लगाए जाते हैं।

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार, इस पहल के अंतर्गत पांच लाख से अधिक पौधे लगाए जाने की उम्मीद है, जो जलवायु कार्रवाई और पर्यावरण संरक्षण में एक साहसिक मिसाल कायम करेगा। जुलाई के पहले सप्ताह में राज्यव्यापी उत्सव के तौर पर वार्षिक संतति सप्ताह मनाया जाएगा, जिसमें समुदाय स्तर पर सामूहिक रुप से पेड़ लगाकर नई शुरुआत का जश्न मनाया जायेगा। राज्य के वन एवं पर्यावरण विभाग के अनुसार, नामची जिला 1200 पंजीकरणों के साथ राज्य की इस हरित क्रांति में सबसे आगे है। उसके बाद गंगटोक (1050), पाकिम (900), सोरेंग (650), मंगन (400) और गेजिंग (352) जिले आते हैं।

वन एवं पर्यावरण विभाग के सचिव प्रदीप कुमार ने कहा, यह केवल एक पर्यावरण नीति नहीं, बल्कि एक सामाजिक परिवर्तन है। इसमें आशा कार्यकर्ताओं से लेकर ग्राम पंचायतों तक हर कोई मिलकर जन्म पंजीकरण से लेकर पेड़ लगाने तक का काम कर रहा है। अभियान को 2023 में दुबई में आयोजित कॉप28 में वैश्विक मान्यता भी मिली है, जहां सिक्किम के प्रतिनिधिमंडल ने इंडिया पैवेलियन में पहल का प्रदर्शन किया। इस प्रस्तुति ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित विश्व नेताओं को प्रभावित किया, जिन्होंने सिक्किम को समुदाय के नेतृत्व वाली स्थिरता के एक मॉडल के रूप में उजागर किया। सिक्किम के जंगलों, खेतों और पिछवाड़े में पौधे उगाए जा रहे हैं, मेरो रुख मेरो संतति यह साबित कर रहा है कि जब परंपरा और कार्रवाई एक साथ मिल जाती है, तो सबसे छोटे राज्य भी उम्मीद के जंगल उगा सकते हैं।

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