गंगटोक : पूर्वी दक्षिण एशिया में व्यापार और परिवहन संपर्क बाधाएं दूर करने को लेकर 25-26 मार्च को पेट्रापोल और कोलकाता में दो दिवसीय हितधारक परामर्श बैठक आयोजित की जा रही है।
संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग एशिया-प्रशांत (इस्कैप) द्वारा बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और लैंड पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की साझेदारी में हो रहा यह कार्यक्रम बांग्लादेश, भूटान, पूर्वोत्तर भारत (पश्चिम बंगाल समेत) और नेपाल में सीमा पार व्यापार और परिवहन को प्रभावित करने वाली प्रमुख चुनौतियों को दूर करने पर केंद्रित है।
बताया गया है कि बैठक में चर्चाओं का उद्देश्य व्यापार बुनियादी ढांचे में सुधार, सुव्यवस्थित वित्तीय लेनदेन और विनियामक सुधारों का प्रस्ताव और खास कर छोटे खाद्य व कृषि निर्यातकों को लाभान्वित करना है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बैठक के पहले दिन 25 मार्च को प्रतिनिधिगण पेट्रापोल लैंड पोर्ट का दौरा करेंगे, जिसमें एलपीएआई सचिव विवेक वर्मा और ईएससीएपी एसएसडब्ल्यूए कार्यालय निदेशक मिकिको तनाका के नेतृत्व में एक उद्घाटन सत्र होगा। साथ ही, यहां सीमा शुल्क अधिकारियों, आव्रजन अधिकारियों, परीक्षण एजेंसियों और स्थानीय व्यापारियों को शामिल करते हुए एक गोलमेज चर्चा में प्रमुख परिचालन चुनौतियों पर प्रकाश डाला जायेगा। कोलकाता लौटने से पहले प्रतिनिधिमंडल एक साइट का दौरा भी करेगा।
वहीं, अगले दिन 26 मार्च को कोलकाता स्थित बीसीसीआई कार्यालय में मिकिको तनाका और विवेक वर्मा के उद्घाटन भाषण से मुख्य हितधारक परामर्श होगा, जिसमें तनाका द्वारा संचालित एक गोलमेज चर्चा भी होगी। इसके पैनल में उद्योग विशेषज्ञ, नीति निर्माता और व्यापार संघ के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस सूची में जेएनयू प्रोफेसर महेंद्र लामा, पश्चिम बंगाल एमएसएमई विभाग से डॉ मौ सेन और डीजीएफटी निर्यात संवर्धन प्रकोष्ठ और सीमा शुल्क के अधिकारी होंगे।
गौरतलब है कि इस्कैप द्वारा किए गए अध्ययनों और पिछले हितधारक परामर्शों ने निर्बाध व्यापार में बाधा डालने वाली कई बाधाओं की पहचान की है। इनमें बेहतर डिजिटल व्यापार प्रसंस्करण, वेयरहाउसिंग, संगरोध और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं के साथ भूमि सीमा शुल्क स्टेशनों को अपग्रेड करने की आवश्यकता शामिल है। स्थानीय मुद्राओं में लेन-देन में आसानी, बेहतर भुगतान प्रणाली और ट्रांसपोर्टरों के लिए बेहतर सुविधाएं जैसे सेवा-संबंधी मुद्दे भी एक बड़ी चिंता का विषय हैं।
इसके अतिरिक्त, छोटे निर्यातकों के लिए विशेष रूप से प्रतिबंधात्मक व्यापार विनियमों को एक प्रमुख चुनौती के रूप में पहचाना गया है, जो अविकसित सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वालों की आजीविका को प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे में, परामर्श बैठकों में नेपाल और भूटान को भारत और बांग्लादेश से जोड़ने वाले ट्रांजिट ट्रेड कॉरिडरों पर ध्यान केंद्रित किया जायेग।
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