गेजिंग : कालिम्पोंग जिलान्तर्गत गैरीबास के 46 धुरा जोसमनी आश्रम परिसर में रविवार को हिंदू जोसमनी सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई। शिवदास गुरुजी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सिक्किम के विभिन्न स्थानों के साथ ही दार्जिलिंग, सिलीगुड़ी, कार्सियांग, कालिम्पोंग, डुआर्स आदि जगहों से भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
इस दौरान, वक्ताओं ने जोसमनी हिंदू सनातन धर्म को प्राथमिकता देते हुए इसके महत्व और औचित्य पर प्रकाश डाला। वहीं सभा में संगठन की एक केंद्रीय कमेटी का गठन भी किया गया और जिसका अध्यक्ष गेलिंग बैगुने निवासी पूर्व सचिव गोविंद शर्मा को नियुक्त किया गया।
यहां अपने वक्तव्य में गोविंद शर्मा ने बताया कि संत ज्ञानदिल दास का जन्म नेपाल के इलाम जिलान्तर्गत फाकफोकथुम में हुआ था। वे जोसमनी संत साहित्य के एक दैदीप्यमान सितारे, महान साहित्यिक चिंतक और निर्गुण भक्ति के समाज सुधारक थे। शर्मा ने बताया कि संत ज्ञानदिल दास के जन्म के 202 वर्ष और मृत्यु के 140 वर्ष बाद उनके जन्मस्थान में हुए साहित्यिक सम्मेलन में ज्ञानदिल दास धाम संरक्षण समिति के 20 सदस्यों ने भाग लिया।
उन्होंने बताया कि संत ज्ञानदिल का जन्म एक देश में हुआ था और उनकी मृत्यु दूसरे देश में हुई। ऐसे में, इस कार्यक्रम में फाकफोकथुम ग्रामीण नगरपालिका, सिक्किम सरकार और ज्ञानदिल दास धाम संरक्षण समिति के बीच मैत्री संबंध स्थापित करके विभिन्न वैचारिक, धार्मिक, साहित्यिक एवं दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक व पर्यटन कार्यक्रम जारी रखने की प्रतिबद्धता जतायी गयी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग के दिशानिर्देशों के तहत गुरु ज्ञानदिल दास मठ का निर्माण भी किया जा रहा है।
वहीं, कल की बैठक में अखिल भारतीय जोसमनी हिंदू सनातन धर्म की केंद्रीय समिति का गठन किया गया। इसमें गोविंद महाराज को अध्यक्ष; रिवाज महाराज को उपाध्यक्ष; अशेष राई को महासचिव; श्याम महाराज, सुब्रत महाराज एवं वरुण महाराज को सहसचिव तथा प्रकाश शर्मा को कोषाध्यक्ष नियुक्त किया है। वहीं, संगठन के मुख्य सलाहकारों में 43 लोग हैं।
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