भाषाई निगरानी विशेषज्ञ समिति की बैठक आयोजित

गंगटोक : सिक्किम उच्च न्यायालय के आदेशानुसार, मूल नेपाली अक्षरों ड़, ढ़, श, ष, ञ, ण, क्ष, त्र और ज्ञ के उपयोग एवं संरक्षण के संबंध में उच्च न्यायालय द्वारा गठित भाषाई निगरानी विशेषज्ञ समिति की बैठक आज राजधानी गंगटोक में हुई। बैठक के बाद, छह सदस्यीय समिति ने उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु आठ-सूत्रीय रिपोर्ट तैयार की है।

समिति के वरिष्ठ सदस्य एवं सिक्किम अकादमी के अध्यक्ष एसआर सुब्बा और नेपाली भाषा सलाहकार समिति के अध्यक्ष शंकर देव ढकाल ने बताया कि आज की बैठक में मूल नेपाली अक्षरों के दस्तावेजीकरण, उपयोग एवं संरक्षण हेतु आठ-सूत्रीय कार्ययोजना तय की गई। समिति ने सिक्किम सरकार के शिक्षा विभाग को राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी एवं निजी विश्वविद्यालयों में नेपाली भाषा के अध्ययन-अध्यापन, शोध के साथ-साथ साहित्य, लेखन एवं मीडिया में मूल नेपाली अक्षरों के उपयोग को सुनिश्चित करने हेतु अनुशंसा करने का भी निर्णय लिया है।

इतना ही नहीं, बैठक में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और साहित्य अकादमी को पत्र लिखकर मूल नेपाली अक्षरों का प्रयोग करने वाली साहित्यिक कृतियों को प्राथमिकता और मान्यता देने का अनुरोध करने का भी निर्णय लिया गया। इसी प्रकार, लोकसभा, राज्यसभा, सिक्किम विधानसभा सचिवालयों के साथ-साथ संघ लोक सेवा आयोग को भी पत्र लिखा जाएगा।

उधर, सिक्किम विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ कविता लामा, जो भाषाई निगरानी विशेषज्ञ समिति की सदस्य भी हैं, ने बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में विश्वविद्यालय के पठन-पाठन में मूल नेपाली अक्षरों और तल्‍थोपली का प्रयोग अनिवार्य कर दिया गया है। हालांकि, विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार के माध्यम से पूछताछ करने वाले छात्रों के अनुरोध पर, भाषाई निगरानी विशेषज्ञ समिति के सदस्य और प्रोफेसर डॉ टीबी छेत्री ने बताया कि 31 अगस्त 2025 से पहले पंजीकरण कराने वालों को छूट दी गई है।

उल्लेखनीय है कि पाकिम निवासी धन राज गुरुंग ने सिक्किम उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर मूल नेपाली अक्षरों और वर्णों के प्रयोग को अनिवार्य बनाने की मांग की थी। याचिका पर बहस के बाद, 31 अगस्त को नेपाली भाषा की मूल लिपि को पूर्ववत बहाल करने का आदेश जारी किया गया। आदेश और निर्देश का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए न्यायालय के दिशानिर्देशों के तहत 6 सदस्यीय भाषाई निगरानी विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है।

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