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संयुक्त सचिव सुश्री नमिता प्रसाद ने किया जीबीपीएनआईएचई का दौरा

गंगटोक । भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री नमिता प्रसाद ने गंगटोक के पंगथांग में जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान (एनआईएचई) के सिक्किम क्षेत्रीय केंद्र का दौरा किया।

इस यात्रा का उद्देश्य सिक्किम हिमालयी क्षेत्र में जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान (जीबीपीएनआईएचई) की चल रही अनुसंधान और विकास गतिविधियों की जानकारी प्राप्त करने के साथ ही भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के विभिन्न अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय (एनएमएनएच) क्षेत्रीय संग्रहालय दीर्घाओं की योजना और विकास के लिए विभिन्न संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना था।

सुश्री प्रसाद और उनके साथ पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वैज्ञानिक श्री संदीप का संस्थान के सिक्किम क्षेत्रीय केंद्र के वैज्ञानिकों, कर्मचारियों और शोधकर्ताओं ने गर्मजोशी से स्वागत किया। परिचयात्मक सत्र के दौरान एनआईएचई के सिक्किम क्षेत्रीय केंद्र के प्रमुख डॉ राजेश जोशी ने स्वागत भाषण दिया और पिछले एक वर्ष के दौरान केंद्र की अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों और उपलब्धियों का अवलोकन प्रस्तुत किया।

सुश्री प्रसाद ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए पर्यावरण अनुसंधान के महत्व तथा ऐसी पहलों को समर्थन देने में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की भूमिका पर प्रकाश डाला। चल रहे शोध की समीक्षा के दौरान उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि शोध के निष्कर्षों को संबंधित राज्य, केंद्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ साझा करने की आवश्यकता है। उन्होंने एनआईएचई के सिक्किम क्षेत्रीय केंद्र की गतिविधियों और प्रयासों की सराहना की, जो विज्ञान आधारित समाधानों के माध्यम से इस क्षेत्र की पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान पर काम कर रहा है।

सुश्री प्रसाद ने एसआरसी की प्रयोगशालाओं और अन्य सुविधाओं का अवलोकन किया, जिनमें ग्रामीण प्रौद्योगिकी परिसर, प्रकृति अध्ययन केंद्र और अर्बोरेटम शामिल थे। उनकी यात्रा ने पर्यावरण संरक्षण और अनुसंधान में सहयोगात्मक प्रयासों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। इसमें एनआईएचई जैसे अनुसंधान संस्थानों की क्षमताओं को समर्थन देने और बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर भी प्रकाश डाला गया, जो भारतीय हिमालयी क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने के साथ भारत की प्राकृतिक विरासत को समझने और संरक्षित करने के लिए समर्पित हैं।

उनकी यात्रा के दौरान, एनआईएचई सिक्किम क्षेत्रीय केंद्र कार्यालय में एक स्कोपिंग बैठक भी आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य सिक्किम में राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय (एनएमएनएच) के लिए क्षेत्रीय संग्रहालय दीर्घाओं की योजना और विकास पर विचार-विमर्श करना था। बैठक की अध्यक्षता सुश्री प्रसाद ने की और इसमें जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण, भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई), डॉयचे गेसेलशाफ्ट फॉर इंटरनेशनेल जुसामेनारबीट (जीआईजेड) और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग जैसे राष्ट्रीय ख्याति के विभिन्न संस्थानों के प्रतिनिधि अधिकारी शामिल थे।

जीबीपीएनआईएचई, बीएसआई, जेडएसआई और जीआईजेड के प्रतिनिधियों ने क्षेत्रीय संग्रहालय दीर्घाओं के विकास के लिए अपने विचार और संभावित योगदान प्रस्तुत किए। इनमें वनस्पति और जीव-जंतुओं सहित जैव विविधता, संरक्षित क्षेत्र और उनकी प्रमुख प्रजातियां, क्षेत्र के पवित्र स्थल, सांस्कृतिक विरासत, पारंपरिक खाद्य पदार्थ और प्रकृति संरक्षण की पारंपरिक प्रथाएं संग्रहालय के लिए कुछ महत्वपूर्ण विषय-वस्तु बिंदु पाए गए।

उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय (एनएमएनएच) का अत्याधुनिक क्षेत्रीय संग्रहालय बहुत जल्द ही सिक्किम में चालू हो जाएगा और यह भारत के उत्तरी क्षेत्र के लिए पर्यावरण शिक्षा और पेशेवर प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय विज्ञान के क्षेत्र में एक राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त संस्थान होगा। एक सार्वजनिक सेवा संस्थान के रूप में, संग्रहालय के संसाधन सभी आगंतुकों के लिए उपलब्ध और सुलभ बनाए जाएंगे। एनएमएनएच और इसके क्षेत्रीय कार्यालयों के बीच एक मजबूत नेटवर्किंग विकसित की जाएगी ताकि क्षेत्रीय और राज्य स्तर पर एनएमएनएच की गतिविधियों का विस्तार किया जा सके। सुश्री प्रसाद ने सहयोगी संस्थाओं के बीच आरंभिक बैठक में उत्पन्न विषयगत विचारों पर संतोष व्यक्त किया तथा संग्रहालय की सफलता के लिए सहयोगात्मक प्रयासों पर बल दिया।

जीबीपीएनआईएचई के सिक्किम क्षेत्रीय केंद्र के प्रमुख डॉ. राजेश जोशी ने सिक्किम में एनएमएनएच क्षेत्रीय संग्रहालय को मजबूत करने के लिए संस्थान के विचारों और दृष्टिकोण को साझा किया। सुश्री प्रसाद ने सिक्किम हिमालय में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की दिशा में जीबीपीएनआईएचई, सिक्किम क्षेत्रीय केंद्र की पहल पर अत्यधिक संतोष व्यक्त किया और बताया कि संस्थान द्वारा अपने परिसर में विकसित प्रकृति अध्ययन केंद्र के मॉडल को प्रकृति संरक्षण पर ज्ञान के प्रसार के लिए सिक्किम के मरचक में विकसित किए जा रहे एनएमएनएच क्षेत्रीय संग्रहालय में दोहराया जाएगा।

बैठक के दौरान विभिन्न संस्थानों और विभागों के वैज्ञानिक, जैसे डॉ राजेश जोशी, डॉ संदीप रावत, डॉ मयंक जोशी, जीबीपीएनआईएचई सिक्किम से डॉ के एस गैरा, बीएसआई सिक्किम से डॉ राजीब गोगोई और डॉ फ्रैंकलिन बेंजामिन, जेडएसआई कोलकाता से डॉ रघुनाथन और डॉ रिजवी, जीआईजेड से श्री अजय, एमओईएफएंडसीसी, नई दिल्ली से श्री संदीप, सीसीयू से श्री मुक्तेश, सीपीडब्ल्यूडी से श्री रवि वर्मा और श्री कुलदीप और शोधकर्ता उपस्थित थे।

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