गंगटोक । स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव एम भरणी कुमार ने मंगलवार को सचिवालय ताशीलिंग स्थित स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के कॉन्फ्रेंस हॉल में गर्भाधान पूर्व एवं प्रसव पूर्व (पीसी-पीएनडीटी) के संबंध में राज्य सलाहकार समिति के बैठक की अध्यक्षता की।
इस दौरान बैठक में प्रमुख निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं (पीडीएचएस) डॉ. डीसी शर्मा, एसटीएनएम के रेडियोलॉजिस्ट विभागाध्यक्ष डॉ केएन शर्मा, विभागाध्यक्ष डॉ. संजीव कुमार प्रसाद, एसटीएनएम में ओबीजी के मुख्य सलाहकार डॉ उत्तम खरका, उप कानूनी अधिकारी सुश्री नीति लामा, विधि अधिकारी सुश्री नीरा थापा, स्वा स्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग से एसई (मैकेनिकल इंजीनियर) घनश्याम पौडयाल, एसोसिएशन फॉर सोशल हेल्थ इन इंडिया, एएसएचआई, सिक्किम शाखा के प्रतिनिधि, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
प्रजनन बाल स्वास्थ्य देखभाल विभाग की संयुक्त निदेशक डॉ मनीषा राई ने 2 अप्रैल को आयोजित पिछली राज्य सलाहकार समिति की बैठक की समीक्षा दी। वहीं डॉ. अनीता भूटिया ने अपने प्रस्तुतीकरण में अध्यक्ष को पीसी एवं पीएनडीटी अधिनियम कार्यान्वयन की स्थिति रिपोर्ट के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने चिकित्सा जगत द्वारा लिंग के आधार पर भेदभावपूर्ण व्यवहार को गंभीरता से लिया है तथा केंद्र को पीसी एवं पीएनडीटी अधिनियम को सभी पहलुओं पर लागू करने का निर्देश दिया है। उन्होंने पीसी-पीएनडीटी अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों के बारे में भी जानकारी दी।
एम भरणी कुमार ने अपने संबोधन में सार्वजनिक सेवा केंद्रों में एमएमए (गर्भपात का चिकित्सा प्रबंधन) किट की उपलब्धता की निगरानी की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सुरक्षित गर्भपात सेवाओं की सभी को उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए मजबूत प्रवर्तन तंत्र के महत्व पर बल दिया। उन्होंने सभी क्लीनिकों में ऑनलाइन पोर्टल लागू करने की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया।
उन्होंने अधिकारियों से गंगटोक और उसके आसपास के अल्ट्रासाउंड क्लीनिकों का त्रैमासिक निरीक्षण करने का आग्रह किया, तथा स्वास्थ्य सेवा वितरण में उच्च मानकों को बनाए रखने और जवाबदेही सुनिश्चित करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने राज्य में सार्वजनिक और निजी दोनों प्रकार की अल्ट्रासाउंड क्लीनिकों और मशीनों का व्यापक रिकॉर्ड बनाए रखने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। इसके अलावा, सचिव ने शैक्षणिक संस्थानों में किशोर स्वास्थ्य मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के महत्व पर बल दिया।
उन्होंने गैर सरकारी संगठनों से राज्य भर में गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व देखभाल के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए विभाग के साथ सहयोग करने का अनुरोध किया। प्राप्त जानकारी के अनुसार पीसी-पीएनडीटी अधिनियम का मुख्य उद्देश्य इस अधिनियम के दायरे में लाने के लिए, सभी यू.एस.जी. केन्द्र, आनुवंशिक प्रयोगशालाएं और परामर्श केन्द्र लिंग निर्धारण परीक्षण कर सकेंगे। इन केन्द्रों पर कड़ी निगरानी रखना, जांच की प्रणाली बनाना तथा अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले केन्द्रों का पंजीकरण निलंबित करना है। उन लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करना होगा, जो लिंग निर्धारण और लिंग चयन परीक्षण का विज्ञापन करते हैं या ऐसा करते हैं तथा इस प्रकार अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं। बैठक का समापन डॉ मनीषा राई, द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
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