गंगटोक । प्रत्येक वर्ष 11 सितंबर के दिन नाथुला दिवस का पालन किया जाता है। इस अवसर पर राज्यपाल ओम प्रकाश माथुर, मुख्यमंत्री प्रेमसिंह तमांग, सिक्किम विधानसभा अध्यक्ष एमएन शेरपा, सिक्किम उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विश्वनाथ सोमद्दर, मुख्य सचिव वीबी पाठक, पुलिस महानिदेशक एके सिंह और अन्य अधिकारी नाथुला पहुंचे।
सभी अतिथियों ने 1967 में भारत-चीन सीमा विवाद में जान गंवाने वाले भारतीय सैनिकों का सम्मान करते हुए सेरेथांग युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। 58वें नाथुला दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल ओमप्रकाश माथुर ने कहा कि दुनिया में भारत का सम्मान और रुतबा दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ राजनीतिक हस्तियों के कारण नहीं, बल्कि भारतीय सेना के योगदान के कारण भी है।
उन्होंने कहा कि भारतीय सेना के त्याग और बलिदान के कारण ही आज देश सुरक्षित है। 1967 में राज्यपाल ने एक फिल्म बनाने और उस वीर गाथा को चित्रित करके दुनिया के सामने पेश करने की आवश्यकता को महसूस करते हुए कुछ करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की, जिसमें भारत 1967 में नाथुला में चीन को घुटनों पर लाने में सक्षम था। उन्होंने यहां तैनात सभी जवानों का हौसला बढ़ाया और कहा कि वे सभी सम्मानित हैं।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री तमांग ने कहा कि भारत सैन्य क्षेत्र में काफी विकास कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश आसमान छू रहा है। प्रधानमंत्री स्वयं भी चार बार सीमा पर गए और कहा कि वह वहां तैनात सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। इस बात पर खुशी व्यक्त की कि वह भी यहां मौजूद थे और उन्हें यहां तैनात सैनिकों से मिलने का अवसर मिला।
इसी तरह, उन्होंने पिछले साल 4 अक्टूबर को आई प्राकृतिक आपदा और अन्य समय में सिक्किम राज्य को सेना द्वारा दिए गए समर्थन के लिए सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने सिक्किम को और अधिक समृद्ध और सक्षम बनाने के लिए सेना के साथ-साथ सैन्य अधिकारियों से भी सलाह और सुझाव मांगे। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस दिन को नाथुला विजय दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए। कार्यक्रम को सिक्किम उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विश्वनाथ सोमद्दर ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम के बाद राज्यपाल, मुख्यमंत्री और अन्य लोगों ने सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए उनसे बातचीत की।
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