गेजिंग, 16 सितम्बर । गेजिंग बाजार से करीब एक किलोमीटर दूर क्योंगसा स्थित भारतीय नेपाली साहित्य एवं संस्कृति अनुसंधान केंद्र और वहां स्थापित भानु प्रतिमा की स्थिति पर्याप्त रख-रखाव के कारण बदहाल होती जा रही है। केंद्र में छतों से पानी टपकने के कारण म्यूजियम और लाइब्रेरी समेत काफी संपत्ति को नुकसान हुआ है। गौरतलब है कि केंद्र में 9 वर्षों में करोड़ों रुपए खर्च कर यह भानु प्रतिमा लगाई गई थी।
इसी बीच, आज गेजिंग जिला प्रशासन, पश्चिम सिक्किम साहित्य प्रकाशन और सिक्किम औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष जनक गुरूंग ने भारतीय नेपाली साहित्य एवं संस्कृति अनुसंधान केंद्र का आधिकारिक दौरा किया। इस दौरान जिला कलेक्टर खेमराज भट्टाराई, पद्मश्री केदार गुरूंग, पश्चिम सिक्किम राहित्य प्रकाशन अध्यक्ष रिकी लामू देप्चा समेत कई अन्य शामिल थे। उनके अलावा, भारतीय नेपाली साहित्य एवं संस्कृति अनुसंधान केंद्र के प्रशासनिक अधिकारी ओपी घटानी समेत कर्मचारियों की एक टीम ने भी इसका दौरा किया। इस अवसर पर अतिरिक्त जिला कलेक्टर ने सुझाव दिया कि इस स्थान को केवल एक सरकारी कार्यालय के रूप में नहीं, बल्कि समूचे सिक्किम की सामूहिक संपत्ति के रूप में देखते हुए इसके प्रति अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। इस दौरान अधिकारियों ने इस स्थान के सौंदर्यीकरण का सुझाव दिया।
वहीं, अध्यक्ष जनक गुरूंग ने कहा कि यात्रा के दौरान टीम ने केंद्र के पुस्तकालय, संग्रहालय, बहुउद्देश्यीय संग्रहालय, प्रशासनिक कार्यालय और भानु प्रतिमा का मुआयना किया। उन्होंने कहा कि यहां की समस्याओं से संबंधित विभाग और सरकार को अवगत कराया जाएगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पिछली सरकार द्वारा बनाये गये इस केंद्र के उचित रख-रखाव के अभाव में यह महत्वपूर्ण संपत्ति खराब हो रही है। उन्होंने कहा कि इसकी मरम्मत कार्य पूरा कराने के लिए वह सरकार के समक्ष यह मुद्दा उठायेंगे। उनके अनुसार, एक-दूसरे पर दोषारोपण करने से नहीं, बल्कि आपसी सहयोग से ही हमें समाधान भी ढूंढना होगा।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007-08 के दौरान इसके केंद्र का निर्माण कार्य पूरा कर सांस्कृतिक कार्य एवं विरासत विभाग को सौंप दिया गया था। तीन साल बाद 2011 के विनाशकारी भूकम्प में यह केंद्र क्षतिग्रस्त हुआ था और इसके सारे खंभे झुक गये थे। हालांकि, इसकी मरम्मत की गई थी, लेकिन मरम्मत कार्य ठीक से नहीं होने के कारण अब स्थिति दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है। ऐसे में राज्य की संस्कृति के महत्वपूर्ण इस केंद्र पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।
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