sidebar advertisement

भारत सदा से एक शांतिप्रिय देश है : राज्‍यपाल

गंगटोक । आज सिक्किम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय ‘मालवीय सेंटर फार पीस’ द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार ‘रीविजिटिंग द आइडिया आफ पीस, जस्टिस एण्ड डेमोक्रेसी इन इण्डियन नॉलेज सिस्टम : रेलीवेंस इन ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी’ में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लिया।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय मालवीय सेंटर फार पीस की दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी से जुड़ने पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए माननीय राज्यपाल ने सिक्किम प्रदेश की सुन्दरता, शांति, प्रसन्नता को जन-जन में समाहित होने की बात कही एवं भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को लोगों के जीवन का अटूट हिस्सा बताया। साथ ही काशी हिंदू विश्वविद्यालय को आधुनिक भारत के निर्माण में योगदान का भी उल्लेख किया।

संगोष्ठी पर अपनी बात रखते हुए तकनीकी, प्रगति और वैश्वीकरण युग में, शांति, न्याय और लोकतंत्र को मात्र अमूर्त अवधारणाएं ही नहीं बल्कि एक संपन्न समाज की ओर हमारे राष्ट्र की प्रगति की आधारशिला बताया है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत सदा से एक शांतिप्रिय देश है। राज्यपाल ने कहा कि भारतवर्ष इस समय अमृत काल के दौर से गुजर रहा है तथा अपने स्वर्ण युग की दहलीज पर है, जो नवाचार, प्रगति और समृ‌द्धि की वैश्विक शक्ति के रूप में अपनी पूरी क्षमता के साथ तैयार है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में, भारत ने राम राज्य की स्थापना की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति देखी है, जो शांति, न्याय और समृ‌द्धि के आदर्शों में निहित है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने एक ऐसा राष्ट्र बनाने के लिए अथक प्रयास किया है जहां हर नागरिक आगे बढ़ रहा है और सामूहिक कल्याण में योगदान दे रहा है। साथ ही समाज के हर तबके के लोगों का विकास सुनिश्चित हो रहा है। उन्होंने इस विषय पर भी चर्चा की कि देश, अपनी समृद्ध विरासत और विविध संस्कृति के साथ, प्राचीन काल से शांति, न्याय और लोकतंत्र के आदर्शों का समर्थक रहा है। हालांकि राज्यपाल महोदय ने समय के साथ इसका पुनर्मूल्यांकन करने को भी अनिवार्य बताया है।

इस दौरान उन्होंने हमारे प्राचीन धर्मग्रंथों और दार्शनिक परंपराओं का भी उल्लेख किया और गांधी जी, भगवान बुद्ध , महावीर, चाणक्य एवं बाबा साहब अंबेडकर जी के महत्पूर्ण योगदान को उजागर किया जिन्होंने न्याय, शांति एवं लोकतंत्र के मूल्यों को समाज में स्थापित करने में बहुमूल्य योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि यह अति आवश्यक है की हम उनकी शिक्षाओं को अपनाकर शांति, न्याय और लोकतंत्र के मूल्यों का सम्मान करें और 21वीं सदी और उससे आगे विश्व गुरु के रूप में भारत को स्थापित करें।

राज्यपाल महोदय ने उपस्थित सभी से शांति, न्याय और लोकतंत्र के मूल्यों को बनाए रखने के प्रयास को जारी रखने की अपील की जो राम राज्य के सार को परिभाषित करते हैं। इस संगोष्ठी के माध्यम से समाज में शांति, न्याय और लोकतंत्र पर चर्चा को आकार देने में शोधार्थियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर ध्यान आकर्षित किया है। राज्‍यपाल ने कहा कि युवा शोधार्थी हमारे देश के आने वाले कल का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके शोध पत्र हमारे सामने आने वाली चुनौतियों के लिए नई अंतर्दृष्टि और अभिनव समाधान प्रदान करने की क्षमता रखते हैं। उनके सूक्ष्म विश्लेषण, न्यायपूर्ण और न्यायसंगत समाज में आशा की किरण के रूप में कार्य करेंगे, जो प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ‘विकसित भारत एट 2047’ के संकल्प को पूरा करने में सहायक होंगे।

इसी के साथ सभी शोधार्थियों से आने वाली चुनौतियों के लिए, नवीन समाधान खोजने और देश की आगामी दिशा तय करने में, सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया है। इस दौरान माननीय राज्यपाल ने राष्ट्रीय सेमिनार के आयोजकों को भी बधाई दी है। संगोष्ठी में प्रोफेसर मनोज मिश्र, कोआर्डिनेटर एमआरसीपी, श्री अशोक कुमार एडवोकेट, अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष, विश्व हिन्दू परिषद, प्रोफेसर मनोज दीक्षित, कुलपति, महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बिकानेर राजस्थान, प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्र, पूर्व संकाय प्रमुख, सामाजिक विज्ञान संकाय, प्रोफेसर नीरजा माधव लेखिका एवं नारी शक्ति पुरस्कार विजेता-2021, प्रोफेसर पतांजलि मिश्र, विभागाध्यक्ष वेद, संस्कृत विज्ञान धर्म संकाय, प्रोफेसर प्रियंकर उपाध्याय, प्रोफेसर यूनस्को चेयर, संगोष्ठी की संयोजक डा सुनीता सिंह उपस्थिति रही।

#anugamini #sikkim

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

sidebar advertisement

National News

Politics