गंगटोक, 11 सितम्बर । जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान के स्थानीय पांगथांग स्थित सिक्किम क्षेत्रीय केंद्र द्वारा आज संस्थान का वार्षिक दिवस आयोजित किया गया। इस अवसर पर सिक्किम विश्वविद्यालय के उप-कुलपति प्रोफेसर अविनाश खरे मुख्य अतिथि और राज्य सरकार के प्रमुख सूचना आयोग सचिव सीएस राव सम्मानित अतिथि के तौर पर उपस्थित थे। उनके साथ यहां एटीआरईई, बेंगलुरू के रणनीतिक सलाहकार डॉ. एकलव्य शर्मा विशिष्ट वक्ता थे, जिन्होंने लोकप्रिय 10वें पंडित गोविंद बल्लभ पंत व्याख्यान दिया।
भारतीय हिमालयन क्षेत्र ‘हिंदूकुश हिमालय : सतत एवं स्थिरता हेतु सीमा पार’ विषयक इस व्याख्यान में डॉ. एकलब्य शर्मा ने पर्वतीय संसाधनों और सेवाओं, चुनौतियों, मुद्दों व अवसरों, सतत एवं स्थिरता हेतु परिवर्तन जैसे व्यापक विषयों पर बोलते हुए कहा कि वैश्विक पर्यावरणीय वस्तुओं एवं सेवाओं में पहाड़ का लगभग 40 प्रतिशत योगदान है। उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण, आधुनिकीकरण और जलवायु परिवर्तन की इस दौड़ में भारतीय हिमालयी क्षेत्र अत्यधिक असुरक्षित है। आज आधुनिकता की बयार दूरदराज के समुदायों तक भी पहुंच गया है। ऐसे में हिमालयन क्षेत्र में सतत विकास पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता बताई। इसके अलावा, उन्होंने क्षेत्रीय व वैश्विक महत्व स्थापित करने, वैज्ञानिक अनिश्चितता कम करने और परिस्थिति के साथ व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत करने हेतु आईएचआर के एक व्यापक वैज्ञानिक मूल्यांकन पर जोर दिया।
इस दौरान, मुख्य अतिथि प्रोफेसर खरे ने सीमित संसाधनों के साथ जीबी पंत संस्थान द्वारा हिमालय और इसकी समृद्ध जैव विविधता के संरक्षण हेतु किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए इसे भावी पीढिय़ों के लिए संरक्षित करने की आवश्यकता बताई। वहीं, प्रमुख सूचना आयोग सचिव सीएस राव ने अपने वक्तव्य में हिमालय क्षेत्र में युवा पीढ़ी को एकजुट करके सर्वोत्तम संरक्षण प्रथाओं का प्रदर्शन करने पर जोर दिया। इससे पहले, संस्थान के क्षेत्रीय प्रमुख डॉ. राजेश जोशी ने स्वागत भाषण में पिछले वर्ष की प्रगति सहित संस्थान के लक्ष्यों और उपलब्धियों के बारे में बताया। एनआईएचई-एसआरसी के वैज्ञानिक डॉ. संदीप रावत ने संस्थान के शोधकर्ताओं द्वारा अनुसंधान एवं विकास पहल के बारे में एक वृत्तचित्र दिखाया।
कार्यक्रम में विभिन्न संगठनों के लगभग 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें सिक्किम में केंद्र सरकारी संगठनों के क्षेत्रीय निदेशक, विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, शिक्षाविद्, शोधकर्ता, कई गैर सरकारी संगठनों के कार्यालय प्रमुखों के अलावा जोरहाट आरएफआरआई, चेन्नई एनसीएससीएम, एवं अन्य संस्थानों के वैज्ञानिक एवं विभागों के प्रतिनिधि शामिल थे।
बाद में कार्यक्रम के दूसरे सत्र में ‘सिक्किम हिमालय में सौर निष्क्रिय हीटिंग सिस्टम की व्यवहार्यता मूल्यांकन’ विषय पर एक चर्चा का आयोजन हुआ। वहीं, यहां ‘कंचनजंगा लैंडस्केप, भारत में लेप्चा समुदाय की संस्कृतियां एवं स्वदेशी संरक्षण प्रथाएं’ नामक पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
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