गंगटोक : STNM अस्पताल के सम्मेलन हॉल में समावेशी और टिकाऊ भविष्य के लिए विकलांग व्यक्तियों के नेतृत्व को बढ़ावा देना विषय के तहत विकलांग व्यक्तियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया गया।
यह कार्यक्रम सिक्किम सरकार के महिला एवं बाल विकास तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा यूएसएआईडी, निष्ठा और झपीगो के सहयोग से आयोजित किया गया था। एकीकृत एवं समावेशी स्वास्थ्य अभियान का शुभारंभ अंतर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस पर किया गया। इस अभियान का उद्देश्य समावेशिता और स्थिरता को बढ़ावा देने में विकलांग व्यक्तियों की भूमिका को मजबूत करना है। यह पहल विकलांग व्यक्तियों के सामने आने वाली स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने तथा नीतियों को आकार देने में उनके नेतृत्व के लिए मंच तैयार करने के महत्व को रेखांकित करती है।
यूएसएआईडी इंडिया के स्वास्थ्य कार्यालय की निदेशक सुश्री मिशेल एम लैंग-एली ने एकीकृत एवं समावेशी स्वास्थ्य अभियान के शुभारंभ पर मुख्य भाषण दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्वास्थ्य प्रत्येक व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। उन्होंने विकलांग व्यक्तियों को समाज के सभी क्षेत्रों में शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि उनकी पूर्ण भागीदारी और सशक्तीकरण सुनिश्चित किया जा सके। सुश्री लैंग एली ने विभिन्न योजनाओं और सुविधाओं के माध्यम से दिव्यांगजनों को सहायता प्रदान करने की पहल के लिए सिक्किम सरकार की सराहना की।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सिक्किम समावेशिता को प्राथमिकता देकर तथा दिव्यांगजनों के लिए सुलभ अवसर सृजित करके भारत के अन्य राज्यों तथा विश्व भर के देशों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। उन्होंने दिव्यांगजनों के समावेशन की वकालत करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि की तथा बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहित किया। उन्होंने व्यक्तियों, संगठनों और सरकारों से एक ऐसे समाज के निर्माण के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया, जो दिव्यांगजनों के अधिकारों और सम्मान का सम्मान करता हो। सुश्री लैंग-एली ने स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने और समावेशी समुदायों के निर्माण में नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने में सहयोग के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
राज्य विकलांगता आयुक्त की प्रधान निदेशक और महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव सुश्री नॉर्मित लेप्चा ने अपने संबोधन में विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों को मान्यता देने और उनकी सुरक्षा में हुई महत्वपूर्ण प्रगति के बारे में बताया। सुश्री लेप्चा ने संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थापित 1992 के अमेरिकी विकलांग अधिनियम और भारत के 2006 के विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि किस प्रकार इन कानूनी ढांचों ने समानता को बढ़ावा देने और दिव्यांगजनों के सामने आने वाली बाधाओं को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि इन अधिनियमों ने न केवल अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए आधार प्रदान किया है, बल्कि सरकारों, संगठनों और समुदायों के लिए समावेशी प्रथाओं को अपनाने के लिए एक रोडमैप भी तैयार किया है। उन्होंने दिव्यांगजनों को समुदाय के समान सदस्य के रूप में महत्व दिए जाने पर प्रकाश डाला तथा निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि उनकी भागीदारी ऐसी नीतियों और कार्यक्रमों के निर्माण में आवश्यक है जो वास्तव में उनकी आवश्यकताओं को पूरा करें। सुश्री लेप्चा ने दिव्यांगजनों के समर्थन के लिए सिक्किम सरकार द्वारा की गई पहलों पर भी चर्चा की। इनमें मुख्यमंत्री राज्य विकलांगता पेंशन योजना (सीएमडीपीएस) के साथ-साथ नकद प्रोत्साहन और योग्यता छात्रवृत्ति भी शामिल हैं, जिनका उद्देश्य विकलांग छात्रों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना है। उन्होंने दिव्यांगजनों की विशिष्ट आवश्यकताओं, विशेषकर स्वास्थ्य देखभाल और रोजगार जैसे क्षेत्रों पर अधिक ध्यान देने का आह्वान किया। उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं को और अधिक सुलभ बनाने तथा दिव्यांगजनों के लिए आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए रोजगार के अवसर सृजित करने के महत्व पर बल दिया।
सुश्री लेप्चा ने सुझाव दिया कि दिव्यांगजनों की आवश्यकताओं का मानचित्रण करने जैसी पहलों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, ताकि संसाधनों और सेवाओं का प्रभावी ढंग से आवंटन सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने एक समावेशी समाज के निर्माण के लिए सहयोगात्मक प्रयासों को प्रोत्साहित किया, जहां प्रत्येक व्यक्ति, चाहे उसकी क्षमता कुछ भी हो, योगदान दे सके और उन्नति कर सके।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की प्रधान निदेशक एवं मिशन निदेशक डॉ अनुषा पी लामा ने दिव्यांग व्यक्तियों के लिए समावेशी स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताया। अपने संबोधन में डॉ लामा ने दिव्यांगजनों की विशिष्ट स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को मजबूत करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दिव्यांगजनों के समग्र कल्याण में सुधार लाने तथा उन्हें समय पर तथा पर्याप्त देखभाल सुनिश्चित करने के लिए सुलभ और समावेशी प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं महत्वपूर्ण हैं।
डॉ लामा ने प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा वितरण में विकलांगता-समावेशी प्रथाओं को एकीकृत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को दिव्यांगजनों के सामने आने वाली चुनौतियों के प्रति संवेदनशील बनाने तथा उन्हें समान देखभाल प्रदान करने के लिए कौशल और संसाधनों से लैस करने का आह्वान किया। उन्होंने एक समावेशी और दिव्यांगजनों की आवश्यकताओं के प्रति उत्तरदायी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली बनाने के लिए सरकारी विभागों, स्वास्थ्य सेवा संस्थानों और समुदायों सहित विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग के महत्व को भी रेखांकित किया।
उन्होंने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) राष्ट्रीय पहल के बारे में भी बात की जिसका उद्देश्य 0-18 वर्ष की आयु के बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार करना है। उन्होंने बताया कि आरबीएसके 4डी -जन्म के समय दोष, रोग, कमियां और विकलांगता सहित विकासात्मक देरी की शीघ्र पहचान और प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करता है। डॉ लामा ने कहा कि मोबाइल स्वास्थ्य टीमें आंगनवाड़ी केंद्रों, स्कूलों और समुदायों में जांच करती हैं तथा मामलों को विशेष देखभाल के लिए जिला प्रारंभिक हस्तक्षेप केंद्रों (डीआईसी) को भेजती हैं। आरबीएसके का उद्देश्य बाल रोगों को कम करना तथा स्वस्थ भविष्य को बढ़ावा देना है।
अपने संबोधन के समापन पर डॉ अनुषा पी लामा ने स्वास्थ्य सेवाओं में समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की प्रतिबद्धता की पुष्टि की, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में कोई भी व्यक्ति पीछे न छूटे। सिक्किम के विकलांग व्यक्तियों के समुदाय के प्रतिनिधि शियोन लेप्चा ने समुदाय के लोगों के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों के बारे में बात की तथा अधिक समावेशिता, बेहतर पहुंच और समान अवसरों की आवश्यकता पर बल दिया। श्री लेप्चा ने एक ऐसा वातावरण बनाने के महत्व पर प्रकाश डाला जो शारीरिक और सामाजिक बाधाओं को दूर कर सके, जिनका सामना विकलांग लोगों को अक्सर करना पड़ता है। उन्होंने दिव्यांग व्यक्तियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए सिक्किम सरकार के निरंतर प्रयासों के लिए आभार व्यक्त किया।
उन्होंने दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सुगम्यता बढ़ाने, शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करने तथा अधिक समावेशी समाज को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार की पहलों की सराहना की। सियारी स्थित दिव्यांग बच्चों के विशेष विद्यालय तथा सिचे स्थित श्रवण बाधित बच्चों के विशेष विद्यालय के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। महिला एवं बाल विकास विभाग ने पढ़ाई में अव्वल स्थान प्राप्त करने वाले दिव्यांग बच्चों को नकद पुरस्कार और सम्मान भी प्रदान किया।
इस कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक सुश्री उर्वशी पौडयाल, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की निदेशक डॉ गणिता थापा, महिला एवं बाल विकास विभाग की अतिरिक्त सचिव सुश्री ताशी चोडेन भूटिया, यूएसएआईडी की वरिष्ठ तकनीकी सलाहकार डॉ अनुराधा जैन, यूएसएआईडी की विकास सहायता विशेषज्ञ सुश्री वृषाली देशमुख, केंद्र एवं राज्य सरकार के अधिकारी, चिकित्सा कर्मचारी, विशेष विद्यालयों, गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि और छात्र उपस्थित थे। इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत महिला एवं बाल विकास विभाग के सहायक आयुक्त श्री पीएन प्रधान के स्वागत भाषण से हुई। कार्यक्रम का समापन यूएसएआईडी-निष्ठा की उप प्रमुख सुश्री कृतिका मुरली के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।
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