गंगटोक : श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय द्वारा ‘डॉ. हेडगेवार प्रज्ञा सम्मान 2025’ का आयोजन किया गया, जिसमें सिक्किम के राज्यपाल श्री ओमप्रकाश माथुर ने मुख्य अतिथि के रूप में सहभागिता की। यह आयोजन डॉ केशव बलिराम हेडगेवार सम्मान श्रृंखला की 36वीं कड़ी थी, जिसमें भारतीय संत परंपरा के पूज्य स्वामी श्री गोविंददेव गिरि महाराज को उनके अध्यात्म, सेवा और राष्ट्रभक्ति के कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।
सभागार में उपस्थित संतजनों, साहित्य एवं संस्कृति के साधकों और कोलकाता महानगर के प्रबुद्ध नागरिकों को संबोधित करते हुए अपने सम्बोधन में राज्यपाल ने कहा कि आज का यह सम्मान समारोह राष्ट्र निर्माण की प्रेरणाओं का पुनः स्मरण है। डॉ हेडगेवार जी ने जिस संगठित समाज की कल्पना की थी, वह आज स्वामी श्री गोविंददेव गिरि महाराज जी जैसे संतों के जीवन से साकार होता है। उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष और श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के उपसभापति के रूप में स्वामी जी की भूमिका की सराहना की और उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अपना उपवास स्वामी जी के हाथों समाप्त किया—जो एक ऐतिहासिक पल था।
श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय, जो पिछले 106 वर्षों से साहित्यिक, सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना का का कार्य कर रहा है, ने इस आयोजन के माध्यम से एक बार फिर अपनी राष्ट्रसेवा की परंपरा को सशक्त किया है। राज्यपाल महोदय ने संस्था को एक प्रेरणास्रोत बताते हुए इसके कार्यों की सराहना की और निरंतर उन्नति की शुभकामनाएं दीं हैं। समारोह में वक्ताओं ने स्वामी गोविंददेव गिरि महाराज के जीवन को अध्यात्म, सेवा और राष्ट्रभक्ति का अनुपम संगम बताया। महर्षि वेदव्यास प्रतिष्ठान और गीता परिवार के माध्यम से उनके द्वारा किए गए कार्यों की प्रशंसा की गई, जिनमें 2500 से अधिक व्याख्यानों और हजारों संस्कार शिविरों का आयोजन शामिल है।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता श्री मुकुल कानिटकर, सदस्य अखिल भारतीय प्रचार टोली, आरएसएस, श्री सज्जन कुमार तुलस्यान, वरिष्ठ आयकर सलाहकार, विशिष्ट अतिथि प्रो अजय प्रताप सिंह, महानिदेशक, राष्ट्रीय पुस्तकालय, महावीर प्रसाद बजाज, अध्यक्ष, भागीरथ चांडक, उपाध्यक्ष, महावीर प्रसाद रावत, उपाध्यक्ष बंशीधर शर्मा, मंत्री, डॉ तारा दूगड़, साहित्य मंत्री, अरुण प्रकाश मल्लावत, अर्थ मंत्री सहित कोलकाता के कई विद्वान, संतजन और साहित्य प्रेमी शामिल हुए।
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