कंचनजंगा पर्वत शुद्धि अनुष्ठान आयोजित करे सरकार : Tseten Tashi Bhutia

गंगटोक : सिक्किम के लोगों के लिए पवित्र कंचनजंगा पर्वत पर हाल ही में एक समूह द्वारा चढ़ाई के बाद लोगों में खासा आक्रोश है। इसे लेकर राज्य वासियों ने “कृपया कंचनजंगा पर्वत पर न चढ़ें” अभियान शुरू किया है।

गौरतलब है कि यह आक्रोश कंचनजंगा पहाड़ पर हाल ही में हुए एक सैन्य अभियान के मद्देनजर आया है जिसने व्यापक चिंता और आध्यात्मिक अशांति को जन्म दिया है। जहां कुछ लोगों द्वारा इस चढ़ाई को एक साहसिक कार्य या राष्ट्रीय गौरव का मामला माना जा रहा है, वहीं सिक्किम में कई लोग इसे अपने सबसे प्रतिष्ठित पवित्र स्थल का गंभीर अपमान मानते हैं।

सिक्किम के लोगों का कहना है कि दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी के रूप में खड़ा यह पवित्र पर्वत यहां के नागरिकों के लिए केवल एक भौगोलिक चमत्कार नहीं, बल्कि उनके लिए एक जीवित देवता और एक संरक्षक आत्मा हैं जो पीढिय़ों से उनकी भूमि की रखवाली करती आई है। साथ ही उन्होंने चेतावनी भी दी है कि इस तरह के आध्यात्मिक अपराध क्षेत्र में प्रकृति और जीवन के नाजुक संतुलन को बिगाड़ सकते हैं।

सिक्किम भूटिया लेप्चा एपेक्स कमेटी के संयोजक छितेन ताशी भूटिया अभियान की आलोचना में मुखर रहे हैं। उन्होंने इस पर कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए कहा, अगर राजनीतिक यात्राओं के बाद मंदिरों के शुद्धिकरण की आवश्यकता होती है, तो हम अपने सबसे पवित्र पर्वत पर चढ़ाई की कैसे अनदेखा कर सकते हैं?

भूटिया ने सरकार से तत्काल और जिम्मेदारी से काम करने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि कैसे चीन जैसे गैर-धार्मिक देशों ने भी कैलाश पर्वत जैसी पवित्र चोटियों पर चढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसी तरह, नेपाल ने धार्मिक कारणों से मचापुचारे और खुम्बिला पर प्रतिबंध बनाए रखा है। उन्होंने तर्क दिया कि भारत को अपनी आध्यात्मिक विविधता के लिए ऐसा ही सम्मान दिखाना चाहिए, खासकर पूर्वोत्तर में, जहां स्वदेशी मान्यताएं और प्रकृति पूजा गहराई से जुड़ी हुई हैं।

कमेटी ने आध्यात्मिक संतुलन को बहाल करने के लिए शुद्धि अनुष्ठान तुरंत आयोजित करने की भी मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि इन मान्यताओं का सम्मान न करने से पारंपरिक बौद्ध मान्यताओं के अनुसार प्राकृतिक गड़बड़ी हो सकती है।

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