गंगटोक : एसडीएफ के प्रवक्ता अरुण लिंबू ने कहा कि सरकार को प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार लाना चाहिए और राज्य निधि के अनावश्यक व्यय के लिए जवादेही तय करनी चाहिए।
यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में लिंबू ने कहा कि हाल ही में सरकार ने सभी जिला मजिस्ट्रेटों के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करते हुए एक आदेश जारी किया। इस आदेश के अनुसार अब जिला मजिस्ट्रेट अपने कार्य क्षेत्र के अलावा प्रत्येक विभाग का निरीक्षण करेंगे तथा संबंधित विभागों के कार्यालय प्रमुखों को शिष्टाचार का उल्लंघन करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश देंगे।
उन्होंने कहा कि हालांकि यह सर्वविदित है कि जिले में सभी विभाग जिला मजिस्ट्रेट के अधीन होते हैं, लेकिन इस आदेश ने सिक्किम के वर्तमान प्रशासनिक माहौल और स्थिति को सार्वजनिक रूप से उजागर कर दिया है। यह आदेश एक ओर तो यह बताता है कि सिक्किम के कर्मचारी अनुशासनहीन और आलसी होते जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यह भी कि जिला कार्यालय संबंधित विभागों के सचिवों के नियंत्रण से बाहर हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि आवश्यकता से अधिक कर्मचारियों के बोझ से दबा सिक्किम का प्रशासन अब प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए अनुभवहीन और अयोग्य अधिकारियों के कारण विकृत होता जा रहा है। दूसरी ओर आम जनता का काम समय पर नहीं हो पा रहा है, क्योंकि बिना किसी चयन प्रक्रिया के नियुक्त कर्मचारी विभागीय अनुशासन का पालन नहीं करते हैं।
लिंबू ने कहा कि चूंकि सिक्किम एक छोटा राज्य है, इसलिए इसके विभागीय कार्य क्षेत्र भी छोटे हैं। चूंकि सचिव स्तर के नौकरशाह प्रायः भारतीय प्रशासनिक सेवा से आते हैं, इसलिए उनके अपने विभागों का खराब प्रदर्शन उनकी कार्यकुशलता और प्रभावशीलता पर सवाल उठाता है। एसडीएफ पार्टी सिक्किम की नौकरशाही से उक्त आदेश के परिप्रेक्ष्य में जनता के प्रति जिम्मेदार और जवाबदेह होने का आग्रह करती है। कर्मचारियों को जनता से एकत्रित कर के पैसे से मासिक वेतन मिलता है। यदि कोई कर्मचारी काम में नहीं करता है तो वह जनता के विरुद्ध अपराध कर रहा है। यदि विभागीय सचिव अपने कर्मचारियों पर नियंत्रण नहीं रख सकते तो एसडीएफ मांग करती है कि सरकार ऐसे सचिवों के खिलाफ भी उचित कार्रवाई करे।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस आदेश से स्पष्ट है कि 2024 के चुनाव से पहले जिस तरह से सरकारी ज्ञापन वितरित किए गए और स्थापित नियुक्ति नियमों का उल्लंघन करते हुए अनावश्यक नियुक्तियां की गईं, उसके कारण सिक्किम का प्रशासन आज सरकार के नियंत्रण से बाहर हो गया है। इसलिए, सिक्किम सरकार को ही सरकारी खजाने से हो रहे इस फिजूलखर्ची और प्रशासनिक गड़बड़झाले के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
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