sidebar advertisement

आपदा की इस भयावह‍ स्थिति को लेकर भी सरकार गंभीर नहीं : दिव्‍या शर्मा

अब तक राज्‍य सरकार नहीं कर सकी है वास्‍तविक नुकसान का आकलन

गंगटोक, 11 अक्टूबर । सिक्किम में आई विनाशकारी प्राकृतिक आपदा को लेकर विपक्षी पार्टियों द्वारा सत्ताधारी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) एवं उनकी सरकार पर हमले जारी हैं। इसी कड़ी में आज प्रमुख विपक्षी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) ने एसकेएम सरकार पर आपदा की इस भयावह स्थिति में भी गंभीर रुख अख्तियार न करने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार अभी तक यह पता नहीं लगा पाई है कि इस आपदा के कारण राज्य में वास्तविक तौर पर कितनी क्षति हुई है। ऐसे में पार्टी ने राज्य सरकार पर ओछी राजनीति करते हुए राज्य के आमलोगों एवं पर्यटकों की जान से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है।

एसडीएफ प्रवक्ता दिव्या शर्मा ने कहा कि 4 अक्टूबर की भयावह आपदा के बाद जहां चारों ओर तबाही एवं अव्यवस्था का मंजर है, वैसे में मौजूदा सरकार की ओर से नुकसान का वास्तविक ब्यौरा लेने के लिए अब भी कोई गंभीरता से काम नहीं किया गया है। ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री प्रेम सिंह गोले राज्‍य के लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। वे वास्तविक पीडि़तों से मिलकर उनके आंसू पोंछने में असमर्थ हैं। इसे रंगपो आईबीएम और उत्तर सिक्किम में नागा के बाढ़ पीड़ितों के गुस्से से समझा जा सकता है। वहीं, दूसरी ओर ऐसा लगता है कि सरकार के मंत्री जिम्मेदार व जवाबदेह होने के साथ प्रशासन को और अधिक कुशल बनाने के बजाय जगह-जगह घूमने में व्यस्त हैं।

दिव्‍या शर्मा ने कहा, आपदा की इस कठिन घड़ी में भी राज्य के मुख्यमंत्री राजनीति करने और घटना का राजनीतिकरण करते दिख रहे हैं। इसी के तहत वह राज्य में इस प्राकृतिक आपदा को मानव निर्मित आपदा साबित कर इसका दोष पूर्व एसडीएफ पार्टी पर मढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि सरकार द्वारा तीस्ता ऊर्जा के चेयरमैन पद पर सुनील सरावगी की नियुक्ति और मिलीभगत जगजाहिर है। उनके अनुसार, ऐसे बेतुके बयान देने के बजाय मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर उन्हें आपदा में हुए वास्तविक नुकसान का लेखा-जोखा पेश कर और अधिक केंद्रीय सहायता प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। मुख्यमंत्री के आलस्य एवं प्रशासनिक कमजोरी के कारण ही इतनी भारी आपदा के बावजूद प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने राज्य का दौरा नहीं किया है।

एसडीएफ प्रवक्ता ने आगे कहा कि मौजूदा समय में यह सरकार आज तक यह अनुमान लगाने में भी विफल रही है कि राज्य में इस आपदा के कारण वास्तव में कितना नुकसान हुआ है। ऐसे में अभी तक केंद्र सरकार ने सिक्किम को उस स्तर का समर्थन नहीं दिया है जो उसे देना चाहिए था। यह एक विफलता है। उनके अनुसार, सिक्किम में हुई यह आपदा किसी भी तरह से 2001 में गुजरात के भुज भूकंप और 2013 में उत्तराखंड में केदारनाथ आपदा से कम नहीं है। ऐसे में राष्ट्रीय आपदा के तहत सिक्किम को कम से कम एक हजार करोड़ रुपए का पैकेज मिलना चाहिए था, लेकिन राज्य सरकार की लापरवाही के कारण उसे सिर्फ 44 करोड़ रुपये ही मिले हैं।

बहरहाल, सिक्किम को इस आपदा से बाहर निकालने के लिए सभी से कंधे से कंधा मिलाकर काम करने का आह्वान करते हुए दिव्या शर्मा ने कहा कि एसडीएफ पार्टी एवं इसके कार्यकर्ता दिन-रात राहत और बचाव कार्य में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा, बेशक प्रकृति ने सिक्किम को बड़ा झटका दिया है, लेकिन इसे लेकर एसकेएम सरकार ने जो असंवेदनशीलता और अमानवीयता दिखाई है, उससे प्रकृति भी हैरान और सदमे में है।

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

sidebar advertisement

National News

Politics