गंगटोक : राजधानी गंगटोक के सम्मान भवन में विद्वानों, लेखकों, कलाकारों और सांस्कृतिक योगदानकर्ताओं की उपस्थिति में आज सिक्किम अकादमी पुरस्कार 2025 और पुस्तक विमोचन समारोह आयोजित किया गया। इसमें मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (Prem Singh Tamang) ने भी भाग लिया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने बताया कि सिक्किम अकादमी ने भाषा-साहित्य, संगीत, चित्रकला और विभिन्न कला रूपों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले रचनाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए वार्षिक तौर पर सिक्किम अकादमी पुरस्कार देना शुरू किया है। इस साल का सम्मान राबांग्ला महकमा के जारोंग के शिल्पकार भरत राई को दिया गया, जो अपनी पारंपरिक बांस शिल्प कौशल के लिए व्यापक रूप से प्रशंसित हैं। तमांग ने उन्हें और उनके परिवार को बधाई देते हुए कहा कि उनका समर्पण और दृढ़ता सिक्किम के लोगों को प्रेरित करती रहेगी।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि 2019 से, सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, खेल, प्रौद्योगिकी, साहित्य, संगीत और कला सहित सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिए प्रयास कर रहे सिक्किमी नागरिकों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि ये प्रयास ग्रामीण क्षेत्रों तक फैले हुए हैं, जहां सरकार समकालीन और पारंपरिक दोनों क्षेत्रों में प्रतिभा की पहचान, उत्थान और सराहना करना जारी रखे हुए है। इस पहल के उत्साहजनक परिणाम मिले हैं।
वहीं, समारोह को सिक्किम की रचनात्मक भावना का एक जीवंत उत्सव बताते हुए मुख्यमंत्री ने उपस्थित रचनाकारों, साहित्यकारों, विद्वानों, संगीतकारों, शोधकर्ताओं और नवप्रवर्तकों को राज्य की सांस्कृतिक पहचान को आकार देने वाला और आने वाली पीढय़िों को प्रेरित करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि उनका योगदान पूरे भारत और दुनिया भर में सिक्किम की विरासत को बढ़ाता रहेगा।
साथ ही, मुख्यमंत्री तमांग ने इस बात पर जोर दिया कि तेजी से तकनीकी प्रगति और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रभुत्व वाले युग में, लेखकों और साहित्यकारों के लिए गहराई, भावना और मानवीय अंतर्दृष्टि के साथ रचना करना और भी आवश्यक है। उन्होंने कहा, प्रौद्योगिकी जानकारी प्रदान कर सकती है, लेकिन साहित्य ज्ञान को संरक्षित करता है और समाज की आत्मा की रक्षा करता है, उन्होंने लेखकों और विचारकों को संस्कृति और सामूहिक चेतना का सच्चा संरक्षक बताया।
कार्यक्रम में कई महत्वपूर्ण प्रकाशनों का विमोचन भी किया गया, जिसमें सामूहिक कार्य ‘आधुनिक भारत के निर्माण में भारतीय नेपाली/नेपाली भाषी भारतीयों की भूमिका और योगदान’ शामिल है।
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