सोरेंग : सिक्किम के मुख्यमंत्री Prem Singh Tamang-Golay ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री Nar Bahadur Bhandari और पूर्व सांसद Dil Kumari Bhandari को मरणोपरांत “नेपाली विरासत संरक्षण उपाधि” से सम्मानित करने की घोषणा की है। नेपाली भाषा के प्रचार और संरक्षण में इन दोनों शख्सियतों के आजीवन समर्पण और योगदान के लिए आधिकारिक तौर पर अगले साल 20 अगस्त को यह सम्मान प्रदान किया जाएगा।
आज इसकी घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री गोले ने कहा कि यह विशेष सम्मान सिक्किम के दो सबसे बड़े नेताओं के प्रति कृतज्ञता की अभिव्यक्ति है, जिन्होंने न केवल राज्य के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य को बदल दिया, बल्कि नेपाली भाषा को राष्ट्रीय पटल पर उसका उचित स्थान भी दिलाया। उन्होंने नर बहादुर भंडारी को एक ऐसे नेता के रूप में वर्णित किया जिनकी दूरदर्शिता, साहस और अथक प्रयासों ने सिक्किम और गोरखा समुदाय को भारतीय राजनीति में एक मजबूत आवाज दी। दूसरी ओर, उन्होंने दिल कुमारी भंडारी को एक अग्रणी व्यक्ति के रूप में याद किया, जिन्होंने संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत नेपाली को भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में मान्यता दिलाने के लिए अथक संघर्ष किया।
मुख्यमंत्री गोले ने कहा कि “नेपाली विरासत संरक्षण उपाधि” केवल एक पुरस्कार नहीं है, बल्कि सम्मान का प्रतीक है और नेपाली भाषा को सम्मानजनक दर्जा दिलाने के लिए किए गए बलिदानों और संघर्षों की याद दिलाता है। उन्होंने कहा कि उनके अथक प्रयासों का परिणाम 1992 में सामने आया, जब नेपाली भाषा को भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, जिससे आने वाली पीढय़िों को लाभ मिलता रहेगा।
उल्लेखनीय है कि 14 वर्षों से अधिक समय तक सिक्किम के मुख्यमंत्री रहे नर बहादुर भंडारी को उनके अग्रणी नेतृत्व और जन कल्याण के प्रति उनकी बेजोड़ प्रतिबद्धता के लिए याद किया जाता है। उन्होंने नेपाली भाषी आबादी को एकजुट करने और उन्हें भारतीय लोकतांत्रिक ढांचे के भीतर एक मजबूत पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वहीं, सिक्किम की पहली महिला सांसद के रूप में दिल कुमारी भंडारी ने एक निडर नेता के रूप में इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया, जिन्होंने राष्ट्र के सर्वोच्च मंचों पर भाषा, संस्कृति और पहचान के मुद्दे को लगातार उठाया।
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