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बराहक्षेत्र मंदिर में शुरू हुआ पांच दिवसीय हरिबोधनी मेला

देश-विदेश से बड़ी संख्‍या में पहुंचे श्रद्धालू

गेजिंग । गत 23 नवंबर को कार्तिक माह की हरिबोधनी एकादशी को यहां के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बराहक्षेत्र मंदिर में शुरू हुए पांच दिवसीय हरिबोधनी मेले में देश-विदेश से भारी संख्या में भक्तों एवं श्रद्धालुओं का आगमन हो रहा है। सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा के दिन तक चलने वाले इस मेले के आयोजन हेतु कोशी नदी घाट का प्रबंधन, बिजली, पेयजल, स्वास्थ्य, साफ-सफाई, सुरक्षा एवं अन्य तैयारियां बेहतरीन ढंग से की गयी हैं।

गौरतलब है कि पृथ्वी पर प्रथम तीर्थ के रूप में वर्णित बराहक्षेत्र मंदिर को चारधामों में से एक माना जाता है। मेला अवधि में यहां पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। नेपाल में सुनसरी, कोशी क्षेत्र के उदयपुर और कोका के धनकुटा जिलों से घिरे बराहक्षेत्र को दुनिया का पहला तीर्थ स्थल माना जाता है। सात कोशियों में से तमर, अरूण, बरूण, दुधकोशी, सुनकोशी, भोटेकोशी तमाकोशी के लिए प्रसिद्ध है।

मेले में आए एक भारतीय पर्यटक पारसमणि दहाल ने बराहक्षेत्र आने के कारणों के बारे में बताया कि साल की चौबीस एकादशियों में से हरिबोधिनी एकादशी सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण है, इसीलिए इसे बड़ी एकादशी भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी को भगवान विष्णु की पूजा का पर्व माना जाता है। पुराणों के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल एकादशी के दिन क्षीर सागर में शयन करने वाले भगवान विष्णु इसी दिन जागते हैं। इसी वजह से इस दिन को हरिबोधिनी एकादशी कहा जाता है। भविष्यत्तर पुराण में बताया गया है कि इस दिन की गई भगवान विष्णु की पूजा अन्य एकादशियों की तुलना में अधिक फलदायी होती है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा था कि इस दिन किए गए सभी कार्य जैसे स्नान, दान, तपस्या आदि फलदायी होते हैं।

धरान से 28 किमी उत्तर पश्चिम में स्थित वराह क्षेत्र एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित है। महाभारत और पुराणों में महिमामंडित, कोका और कोसी नदियों के संगम पर स्थित यह धार्मिक मंदिर अनादि काल से पूजनीय रहा है। कथा के अनुसार भगवान विष्णु के तीसरे अवतार वराह का जन्म यहीं हुआ था। प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी, माघे संक्रांति, ऋषि पंचमी, फागु पूर्णिमा तथा अन्य एकादशियों पर देशी-विदेशी तीर्थयात्रियों का मेला यहां लगता है। वराह क्षेत्र में लक्ष्मी, पंचायन वराह, सूर्य वराह और नागश्वर सहित नौ मंदिर, अलग-अलग मूर्तियां और धर्मशालाएं हैं।

बराहक्षेत्र धाम की देखभाल वराह क्षेत्र संरक्षण मंच द्वारा किया जाता है। उनके अलावा, अन्य संगठनों ने भी इसका समर्थन किया है। इसके अलावा साधु दुर्गा आनंद गिरी ने भी वराह क्षेत्र की महिमा के बारे में बताया। यहां के दर्शन के साथ-साथ विष्णु पादुका, चतरा के औलियाबाबा धाम, बाल संत धाम, विशाल हनुमान मंदिर समेत दर्जनों तीर्थों के दर्शन किए जा सकते हैं।

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