राज्य में लोकतांत्रिक मानदंड और मूल्य संकट में : कृष्ण खरेल

गंगटोक : विपक्षी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट पार्टी (SDF) ने सत्ताधारी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा पार्टी (SKM) पर लोकतंत्र विरोधी होने और विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप लगाया है। एसडीएफ का कहना है कि राज्य में मौजूदा एसकेएम सरकार के अराजक शासन के तहत लोकतांत्रिक मानदंड और मूल्य संकट में हैं।

एसडीएफ के प्रचार उपाध्यक्ष कृष्ण खरेल ने एक बयान में कहा कि हमारे देश के संविधान में स्वस्थ लोकतंत्र के लिए विपक्षी राजनीतिक दलों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। विरोध प्रदर्शन, सरकारी काम की समीक्षा, रैलियां, नारेबाजी आदि केवल विपक्ष का ही नहीं, बल्कि हर व्यक्ति को अपना असंतोष व्यक्त करने का अधिकार है। जब एसडीएफ पार्टी सत्ता में थी और असंतुष्ट समूहों, व्यक्तियों और राजनीतिक दलों ने बार-बार विरोध प्रदर्शन किया था।

खरेल ने बताया कि एसडीएफ शासन के दौरान, वर्तमान सत्तारूढ़ पार्टी एसकेएम ने अपने गठन से पहले ही ‘सिक्किम नागरिक सुरक्षा समिति’ का गठन कर लिया था और हमारी तत्कालीन सरकार के खिलाफ उग्र विरोध में गंगटोक शहर में एक रैली भी की थी। उस समय, डॉ एडी सुब्बा, लातेन शेरपा और उनके मित्रों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान एसडीएफ अध्यक्ष पवन चामलिंग का प्रतिकात्मक अंतिम संस्कार भी किया। वहीं, सिक्किम प्रोग्रेसिव यूथ फोरम नामक संगठन ने भी गेजिंग से “गंगटोक चलो” विरोध मार्च निकाला। यहां तक कि जब नर बहादुर भंडारी सत्ता में थे, तब भी उनके खिलाफ कई रैलियां, धरने, प्रदर्शन आदि हुए थे।

उन्‍होंने कहा कि पिछली दोनों सरकारों के कार्यकाल के दौरान न तो विपक्षी राजनीतिक दलों या विरोध समूहों या व्यक्तियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की गई और न ही सत्तारूढ़ दल के समर्थकों या कार्यकर्ताओं ने कोई व्यवधान पैदा किया। लेकिन, वर्तमान में सत्तारूढ़ एसकेएम पार्टी की बुनियाद ही लोकतंत्र विरोधी है। सभी जानते हैं कि एसकेएम द्वारा विपक्ष का विरोध रोकने हेतु सैकड़ों पेड़ काट कर सड़क अवरुद्ध कर दी गई। इसके अलावा, वे महिलाओं को अपने कपड़े फाड़ने के लिए मजबूर करने, युवाओं को समाज में संघर्ष के लिए उकसाने तथा सड़कों पर लोगों पर घात लगाकर हमला करने जैसे जघन्य आपराधिक कृत्यों को अंजाम देकर समाज में अशांति पैदा करने के लिए भी जिम्मेदार रहे हैं।

एसडीएफ प्रचार नेता ने आगे कहा, 2019 में एसकेएम सरकार बनाने के बाद से सिक्किम में जो घटनाएं हो रही हैं, वे सभी को अच्छी तरह से पता हैं। हमारे पार्टी अध्यक्ष पर बार-बार हमला किया गया। सरकार से असहमत छात्र नेता पदम गुरुंग की हत्या, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष केएन राई को मारने का प्रयास, सरकारी नीतियों का विरोध करने पर केशव सापकोटा की हत्या की कोशिश, रमेश किरंत की उनके घर में घुसकर हत्या करने की कोशिश जैसे कई उदाहरण है। यहां तक कि सरकारी नीतियों से असहमत अपनी ही पार्टी के मंत्रियों और विधायकों की भी पिटाई की गई है। इसके अलावा, राजधानी के मध्य में विपक्षी नेताओं के प्रति हाल ही में हुआ असभ्य और आक्रामक व्यवहार लोकतंत्र के लिए भी उतनी ही शर्मनाक घटना है।

खरेल के अनुसार, लोकतंत्र में प्रशासन पक्षपातपूर्ण नहीं होना चाहिए। लेकिन सिक्किम में प्रशासन का पक्षपातपूर्ण स्वभाव अत्यंत दुखद है। पिछली घटनाओं के अपराधी अब खुलेआम घूम रहे हैं। उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। वर्तमान घटना में जब हम सुनते हैं कि प्रशासन ने ही उस व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है जिसके साथ अभद्र व्यवहार किया गया था, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि सिक्किम प्रशासन लोकतंत्र की गरिमा को नहीं समझता है। उन्होंने कहा, सिक्किम के मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार सीपी शर्मा, जो प्रिंसिपल भी हैं, जिस भाषा में विपक्षी नेताओं को संबोधित करते हैं तथा जिन अशोभनीय शब्दों का प्रयोग करते हैं, उससे लोकतंत्र और कमजोर होता प्रतीत होता है। ऐसे में, एसडीएफ पार्टी विपक्षी पार्टी के नेताओं के खिलाफ अभद्र, बेलगाम और लोकतंत्र विरोधी भाषा के प्रयोग की कड़ी निंदा करती है।

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा संविधान की शपथ लेने और सरकार चलाने का अधिकार प्राप्त करने के बाद उसे संवैधानिक अधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों और मानदंडों की रक्षा करने की अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से निभानी चाहिए। एसडीएफ पार्टी सिक्किम सरकार से आग्रह करती है कि वह सभी प्रकार के निगरानी हमलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे तथा सिक्किम में कानून का शासन सुनिश्चित करे तथा स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था कायम रखे।

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