गंगटोक : सिक्किम के शिक्षा मंत्री राजू बस्नेत ने केंद्र सरकार से यांगगांग में सिक्किम केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्थायी परिसर को पूरा करने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने इस कार्य में हो रहे विलंब को स्थानीय छात्रों के शैक्षणिक विकास को नुकसान पहुंचाने वाला बताते हुए इसे राज्य में शिक्षा के भविष्य के लिए गंभीर चिंता का विषय बताया।
उल्लेखनीय है कि 2007 में स्थापना के बाद से ही सिक्किम केंद्रीय विश्वविद्यालय का एक अस्थायी परिसर गंगटोक में किराये के मकान में चलाया जा रहा है। मंत्री बस्नेत ने कहा कि 18 सालों के बाद भी एससीयू गंगटोक में अस्थायी किराए के भवनों में काम कर रहा है। यह स्थिति छात्रों, शिक्षकों और राज्य में उच्च शिक्षा के समग्र विकास के लिए कई मुश्किलें पैदा कर रही है। उन्होंने कहा, यह हमारे छात्रों के लिए उचित नहीं है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए एक उचित परिसर बहुत महत्वपूर्ण है। इतने साल इंतजार करने के लिए बहुत लंबा समय है।
राजू बस्नेत ने इस विलंब को एक गंभीर चिंता का विषय बताते हुए केंद्र सरकार की ओर से तत्परता की कमी पर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा, भले ही संसद ने विश्वविद्यालय के लिए विधेयक पारित किया हो और भारत सरकार द्वारा धन स्वीकृत किया गया हो, लेकिन जमीन सौंपने में बहुत लंबा समय लग गया। बार-बार वादे करने के बावजूद इसे क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है?
राजू बस्नेत ने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय परिसर की मांग का समर्थन करने वाले कई लोगों का निधन भी हो गया है। उन्होंने कहा कि स्थायी विश्वविद्यालय परिसर के लिए संघर्ष कई वर्षों से विभिन्न सरकारों के बीच चल रहा है, लेकिन यह मुद्दा अनसुलझा है। उन्होंने बताया कि छात्र वर्तमान में उन भवनों में कक्षाएं ले रहे हैं जो कभी पूर्णकालिक विश्वविद्यालयों के लिए नहीं थे। उचित कक्षाओं, छात्रावासों, पुस्तकालयों, प्रयोगशालाओं और अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी है।
राजू बस्नेत के अनुसार, यह देरी न केवल शिक्षा, बल्कि सिक्किम के युवाओं के सपनों को भी रोक रही है। उन्होंने एससीयू के नए कुलपति प्रोफेसर अभिजीत दत्ता से विश्वविद्यालय को यांगांग में अपने स्थायी परिसर में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया में तेजी लाने की भी अपील की। उन्होंने कहा, हम अकादमिक विशेषज्ञों और विश्वविद्यालय प्रशासन के समर्थन का अनुरोध करते हैं। कृपया इसे प्राथमिकता दें।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार अब नए प्रयास कर रही है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की भी योजना बनाई गई है, जिसके लिए पहले से ही बड़ा बजट आवंटित किया गया है। उन्होंने बताया कि इसका काम प्रगति पर है और अगर सब कुछ ठीक रहा तो इस साल के अंत तक परिसर का पहला चरण बनकर तैयार हो जाएगा।
वहीं, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अभिजीत दत्ता ने भी परिसर की प्रगति पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य धीमी गति से आगे बढ़ रहा है और करीब 74 फीसदी भौतिक कार्य और 72 फीसदी वित्तीय कार्य पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा, कुछ विभाग पहले ही यांगांग परिसर में चले गए हैं। लेकिन अनुमति और अनुमोदन के कारण कई देरी हो रही है, जिस पर हमारा नियंत्रण नहीं है।
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