गंगटोक : सिक्किम राज्य मत्स्य विभाग द्वारा आज स्थानीय पालजोर स्टेडियम के निकट मत्स्य विभाग के स्वर्ण जयंती हॉल में “सोरेंग जिले में जैविक मत्स्य पालन क्लस्टर का सतत विकास” विषय पर एक परामर्शदात्री हितधारक बैठक आयोजित की गयी।
इसमें मत्स्य सचिव श्रीमती रोशनी राई, निदेशक केके श्रेष्ठ, संयुक्त निदेशक लोबसंग तमांग और विभाग के अन्य वरिष्ठ एवं प्रमुख अधिकारी और विशेषज्ञ उपस्थित थे। इनके अलावा, बैठक में उपस्थित विशिष्ट अतिथियों में राज्य जैविक खेती विकास एजेंसी के सीईओ डॉ एस अनबालागन, नाबार्ड एजीएम मेवांग लोवांग, एएम शुभाशीष सरकार, वरिष्ठ केवीके वैज्ञानिक डॉ प्रकाश शर्मा और आईसीएआर, तादोंग के प्रतिनिधि शामिल रहे।
बैठक में सीईओ डॉ एस अनबालागन ने मत्स्य विभाग की जैविक मत्स्य पालन के लिए क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण अपनाने की पहल की सराहना की और इसे पूरे राज्य में अनुकरण के लिए एक संभावित मॉडल बताया। उन्होंने प्रमाणन प्रक्रिया को शीघ्र शुरू करने की आवश्यकता पर भी बल देते हुए सामर्थ्य सुनिश्चित करने के लिए सहकारी समितियों या एफएफपीओ के माध्यम से समूह प्रमाणन दृष्टिकोण की सिफारिश की। साथ ही, उन्होंने जैविक मछली और उसके उत्पादों के प्रसंस्करण, विपणन और ब्रांडिंग के बारे में बहुमूल्य जानकारी भी साझा की।
डॉ अनबालागन ने मत्स्य विभाग और आईसीएआर, तादोंग को जैविक मत्स्य पालन के लिए प्रथाओं का एक पैकेज विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस अवसर पर वरिष्ठ केवीके वैज्ञानिक डॉ. प्रकाश शर्मा और आईसीएआर के प्रतिनिधि ने जैविक मछली फ़ीड और इसके अवयवों पर विस्तृत वैज्ञानिक इनपुट साझा किए। उन्होंने फील्ड अधिकारियों से आग्रह किया कि वे जैविक मत्स्य पालन गतिविधियों के लिए किसानों को संगठित करना शुरू करें, क्योंकि उनकी भागीदारी इस पहल की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने मौजूदा मछली किसानों के बीच किसान क्रेडिट कार्ड का वितरण सुनिश्चित करने के महत्व पर भी जोर दिया।
इसके साथ ही सचिव ने आगे जैविक मत्स्य पालन पर एक राज्य स्तरीय तकनीकी सलाहकार समिति का गठन जल्द ही किये जाने की घोषणा की। इस समिति में विशेषज्ञ, विभागीय अधिकारी और वैज्ञानिक शामिल होंगे जो तकनीकी मार्गदर्शन और नीति सिफारिशें प्रदान करेंगे।
इससे पहले, कार्यक्रम की शुरुआत में सहायक निदेशक सुरेन्द्र भंडारी ने अपने स्वागत भाषण में बैठक के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। वहीं, जैविक मत्स्य पालन उप निदेशक सह नोडल अधिकारी नितेश गुरुंग ने अपनी एक विस्तृत प्रस्तुति में राज्य में जैविक मत्स्य पालन की वर्तमान स्थिति, प्रस्तावित विकास योजना और भविष्य की कार्ययोजना की रूपरेखा प्रस्तुत की।
उनके साथ, जिला मत्स्य अधिकारियों ने उपस्थित लोगों को चल रही क्षेत्रीय गतिविधियों के बारे में जानकारी दी और बताया कि मनरेगा के साथ मिलकर नए मछली तालाबों का निर्माण बहुत जल्द शुरू होने वाला है। उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत लुंगयम में पहली जैविक मछली हैचरी का निर्माण भी युद्ध स्तर पर जारी रहने की जानकारी दी। इसके अलावा, नाबार्ड प्रतिनिधियों ने भी एक्सपोजर विजिट, कौशल विकास प्रशिक्षण और सहकारी समितियों/मत्स्य किसान उत्पादक संगठनों के गठन में सुविधा के माध्यम से पहल का समर्थन करने की अपनी तत्परता व्यक्त की।
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