sidebar advertisement

संवेदनशील बांधों की व्‍यापक समीक्षा शुरू

तीस्ता-III जलविद्युत परियोजना के बांध के ढहने के परिप्रेक्ष्य केंद्रीय जल आयोग ने शुरू की पहल

गंगटोक । पिछले साल अक्टूबर में तीस्ता-III जलविद्युत परियोजना के बांध के ढहने के परिप्रेक्ष्य में केंद्रीय जल आयोग ने ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड के प्रति संवेदनशील बांधों से जुड़े बाढ़ जोखिमों की व्यापक समीक्षा शुरू की है। समीक्षा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मौजूदा और निर्माणाधीन बांधों में संभावित अधिकतम बाढ़, संभावित बाढ़ और जीएलओएफ को संभालने के लिए पर्याप्त स्पिलवे क्षमता हो।

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार, विद्युत मंत्रालय के तहत केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा देश में 47 बांधों की पहचान की गई है, जिनमें से 38 चालू हैं और 9 निर्माणाधीन हैं और जिनके ग्लेशियल झीलों से उत्पन्न होने वाले जीएलओएफ से प्रभावित होने की संभावना है। इनमें से 31 परियोजनाओं के लिए जीएलओएफ अध्ययन पहले ही पूरा हो चुका है।

गौरतलब है कि सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हर साल जून से अक्टूबर तक हिमालयी क्षेत्र में 902 ग्लेशियल झीलें और जलाशय शामिल हैं, जिनमें 50 हेक्टेयर से अधिक जल विस्तार वाले 477 और 10 से 50 हेक्टेयर के बीच आकार वाली 425 झीलें शामिल हैं। यह निगरानी जल विस्तार वाले क्षेत्रों में परिवर्तनों का पता लगाने में सक्षम बनाती है, जिससे उन झीलों की पहचान करने में मदद मिलती है जो काफी हद तक फैल गई हैं और संभावित आपदा जोखिम पैदा करती हैं। इसकी मासिक निगरानी रिपोर्ट सीडद्ब्रल्यूसी की वेबसाइट पर देखी जा सकती है।

इसके अलावा, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के तहत आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर एक समिति ने छह हिमालयी राज्यों और अन्य हितधारक प्रतिनिधियों के साथ आगे के आकलन के लिए उच्च जोखिम वाली ग्लेशियल झीलों की पहचान की है। ये आकलन व्यापक शमन रणनीतियों को तैयार करने में मदद करेंगे, जिसमें प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और अन्य संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक उपायों की स्थापना शामिल है।

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय गृह मंत्री ने हाल ही में 150 करोड़ रुपये के बजट के साथ एक जीएलओएफ जोखिम शमन परियोजना को मंजूरी दी है। यह परियोजना सिक्किम के साथ हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, और अरुणाचल प्रदेश को जीएलओएफ से संबंधित विभिन्न शमन उपायों को लागू करने में सहायता करेगी।

इसके अलावा, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय भी अपने स्वायत्त संस्थान-राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान केंद्र के माध्यम से 2013 से चंद्रा बेसिन में प्रो-ग्लेशियल झीलों पर वैज्ञानिक शोध कर रहा है। नेशनल मिशन ऑन हिमालयन स्टडीज द्वारा प्रायोजित एक अध्ययन ने सिक्किम हिमालय में ग्लेशियल झीलों की स्थिति का भी आकलन किया है, जिसमें तीस्ता नदी बेसिन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित किया गया है। ये ठोस प्रयास जीएलओएफ द्वारा क्षेत्र के बांध बुनियादी ढांचे के लिए उत्पन्न महत्वपूर्ण जोखिमों और कमजोर क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए निरंतर निगरानी और सक्रिय शमन रणनीतियों की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।

#anugamini

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

sidebar advertisement

National News

Politics