मुख्यमंत्री ने दिया आश्वासन; हिमालयी बौद्ध धर्म की आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित करने में करेंगे सहयोग

गंगटोक : सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने हिमालयी बौद्ध धर्म की सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित करने के उद्देश्य से किए जा रहे प्रयासों को अपने निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया है। बुधवार को नई दिल्ली में भारतीय हिमालयी नालंदा बौद्ध परंपरा परिषद के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के दौरान यह आश्वासन दिया गया।

प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व परिषद के अध्यक्ष श्रद्धेय पद्म थेगछे रिंपोछे ने किया, जिन्होंने अरुणाचल प्रदेश से लद्दाख तक ट्रांस-हिमालयी बेल्ट में बौद्ध परंपराओं की रक्षा के लिए परिषद द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में मुख्यमंत्री को जानकारी दी। सिक्किम के मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार, मुख्यमंत्री तमांग ने सांस्कृतिक संरक्षण में परिषद के राष्ट्रीय प्रयासों की प्रशंसा की और बौद्ध समुदाय के समर्थन में सिक्किम सरकार की अपनी पहल पर प्रकाश डाला। उन्होंने क्षेत्र की धार्मिक पहचान और आध्यात्मिक संस्थानों की रक्षा हेतु राज्य सरकार की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की।


गौरतलब है कि यह बैठक मार्च में नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित परिषद की ऐतिहासिक पहली आम सभा के बाद हुई है, जिसमें हिमालयी राज्यों के 120 से अधिक बौद्ध प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इस सभा में, पूर्व परिषद अध्यक्ष लोचेन तुलकु रिंपोछे ने मोनेस्ट्रियों को आधुनिक शिक्षण केंद्रों के रूप में विकसित करने का आह्वान किया और स्वदेशी हिमालयी भाषाओं के संरक्षण की वकालत की। परिषद के हालिया काम का एक प्रमुख परिणाम नेशनल ओपन स्कूल शिक्षा संस्थान के माध्यम से भोटी भाषा को मान्यता दिलाना रहा है।

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