गंगटोक, 04 अक्टूबर । सिक्किम में आई भीषण प्राकृतिक आपदा के बीच सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट प्रमुख एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इसे एक राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है। साथ ही उन्होंने केंद्र से इस आपदा की घड़ी में राज्यवासियों को प्रभावी राहत सुनिश्चित करने की भी मांग की है। इसके अलावा, उन्होंने राज्य में एसडीएफ सरकार के समय ऐसे संभावित ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट की रोकथाम हेतु किए गए कार्यों का भी उल्लेख किया है।
अपने पत्र में चामलिंग ने कहा है कि सिक्किम में आई विनाशकारी प्राकृतिक आपदा में बुनियादी ढांचे, संपत्ति और जीवन की भारी क्षति हुई है। पिछले कई दशकों में सिक्किम में ऐसी आपदा नहीं देखी गई है। इसके कारण, तीस्ता नदी किनारे के निचले इलाके तबाह हो गए हैं। मंगन जिले में संचार नेटवर्क भी बुरी तरह प्रभावित है और राज्य भर से मौतों की खबरें आ रही हैं। उनके अनुसार, मौत का आंकड़ा सैकड़ों में जा सकता है। नामची और मंगन जिलों में कई पुल ढह गए हैं और सिक्किम, दार्जिलिंग और कालिम्पोंग में कई स्थानों पर एनएच-10 के हिस्से बह गए हैं, जिससे देश के शेष भागों से इस क्षेत्र का संपर्क टूट गया है। ऐसे में राज्य में शीघ्र ही आवश्यक वस्तुओं की कमी हो सकती है, जिसके लिए केंद्र सरकार को आवश्यक भोजन और दवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु जल्द से जल्द हस्तक्षेप करना चाहिए।
वहीं, अपनी सरकार के समय ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट की संभावित समस्या की रोकथाम की दिशा में उठाए गए कदमों के बारे में बताते हुए चामलिंग ने आगे कहा कि ल्होनक झील की इस संभावित समस्या के बारे में 2013 में हैदराबाद की नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर के वैज्ञानिकों ने सूचित किया था। इस पर तत्काल कार्रवाई करते हुए एसडीएफ सरकार ने इस जोखिम का अध्ययन किया और 2014, 2016 और 2017 में समस्या का अध्ययन करने हेतु क्षेत्रीय अभियान भेजे थे। साथ ही 2017 में रोकथाम के लिए दक्षिण ल्होनक झील से अतिरिक्त पानी निकालने हेतु एक आपदा शमन पहल भी की गई थी।
बहरहाल, सिक्किम को मौजूदा भारी तबाही का सामना करना पड़ रहा है और जनता भय और अनिश्चितता का अनुभव कर रही है। ऐसे में मैं केंद्र सरकार से राज्यवासियों को इस प्राकृतिक आपदा से राहत दिलाने के लिए कदम उठाने का आग्रह करता हूं। साथ ही इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा भी घोषित किया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए है, क्योंकि आपदा में भारत-चीन सीमा पर भारतीय सेना की लाइफ लाइन भी टूट गई है। ऐसे में भारत सरकार को इसमें तत्काल हस्तक्षेप करना आवश्यक है। इसके साथ ही चामलिंग ने आपदा की इस घड़ी में राज्य और केंद्र सरकारी एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग करने की भी बात कही है।
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