गंगटोक : हिमालयी क्षेत्र को ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड सहित जलवायु परिवर्तन के जोखिमों और चुनौतियों से बचाने हेतु व्यापक अध्ययन और ठोस उपायों के लिए सिक्किम से लोकसभा सांसद डॉ इंद्र हांग सुब्बा लगातार संसद और केंद्र सरकार पर दबाव डाल रहे हैं।
सांसद कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में डॉ सुब्बा ने केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को अपनी चिंताएं और विभिन्न सवाल सौंपे हैं। उनके सवालों में मंत्रालय से हिमालय में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अध्ययन एवं प्रकाशित रिपोर्ट और जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप तीस्ता बेसिन बाढ़ से उत्पन्न स्थिति की रोकथाम हेतु आवंटित निधि की जानकारी मांगना शामिल हैं।
इसके जवाब में, मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि केंद्र सरकार ने वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय सहित विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों के माध्यम से हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए धन आवंटित किया है। वहीं, राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना के एक प्रमुख घटक के रूप में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने हिमालयी ईको सिस्टम को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय मिशन शुरू किया है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझना है।
इसके साथ ही, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान केंद्र के माध्यम से हिमालयी ग्लेशियरों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और जल स्थिरता में इसके योगदान का अध्ययन करता है। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के स्वायत्त संस्थान जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान हिमालयी पर्यावरण पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन करता है।
जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालयी क्षेत्र में जैव विविधता में बदलाव, ग्लेशियरों के पिघलने, आजीविका पर पड़ने वाले प्रभाव, भेद्यता और जोखिम मूल्यांकन पर विस्तृत निष्कर्ष रिपोर्ट और जर्नल पेपर के रूप में प्रकाशित किए गए हैं। सिक्किम राज्य सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, जीएलओएफ के लिए राष्ट्रीय आपदा उन्मूलन निधि के तहत सिक्किम राज्य के लिए 40 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।
सांसद सुब्बा ने मंत्रालय के इन जवाबों का स्वागत किया है। सांसद सुब्बा ने कहा, मैं मंत्रालय के जवाबों का स्वागत करता हूं, जो दर्शाते हैं कि केंद्र सरकार हिमालयी क्षेत्र और उसके समुदायों पर जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास कर रही है। जैसे-जैसे अध्ययन आगे बढ़ेंगे और अधिक डेटा एकत्र होगा, मुझे विश्वास है कि केंद्र सरकार सिक्किम सहित क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन द्वारा उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी नीतियों और उपायों को फिर से तैयार करना जारी रखेगी।
उनके अनुसार, यह महत्वपूर्ण है कि जलवायु परिवर्तन पर नीति निर्माताओं के बीच चर्चा जारी रहे, जिसमें हिमालय की सुरक्षा और इस संवेदनशील क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के लिए निरंतर अनुकूलन पर ध्यान केंद्रित किया जाए। डॉ सुब्बा ने बताया कि मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग के नेतृत्व वाली सिक्किम सरकार ने इस साल अक्टूबर में सिक्किम के लिए ग्लेशियरों के खतरों से निपटने के लिए एक आयोग का गठन किया है। ग्लेशियरों के खतरों पर 13 सदस्यीय सिक्किम आयोग को सिक्किम में संवेदनशील ग्लेशियर झीलों का मूल्यांकन करने और भविष्य में ग्लेशियरों के खतरों को कम करने के लिए रणनीति सुझाने का काम सौंपा गया है।
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