सहयोग मित्रों के लिए क्षमता निर्माण कार्यशाला आयोजित

पाकिम : नशा मुक्त भारत अभियान और नशा मुक्त सिक्किम अभियान के तहत सिक्किम सरकार के समाज कल्याण विभाग द्वारा आयोजित सहयोग मित्रों के लिए दो दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यशाला का आज स्थानीय असम लिंग्जे स्थित जनजातीय अनुसंधान केंद्र में समापन हुआ।

उल्लेखनीय है कि सहयोग मित्र कार्यक्रम नशा मुक्त अभियान के तहत समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित व्यापक सहयोग कार्यक्रम के चार मुख्य स्तंभों में से एक है, जो नशा मुक्त भारत अभियान के ढांचे के भीतर संचालित होता है। प्रत्येक जिले से साठ नोडल शिक्षकों की भागीदारी के साथ, यह पहल शैक्षणिक संस्थानों के भीतर मादक द्रव्यों के सेवन को लक्षित करते हुए मुख्य रूप से रोकथाम और जागरुकता पर ध्यान केंद्रित करती है।

कार्यशाला के पहले दिन समाज कल्याण सचिव सारिका प्रधान ने सहयोगी मित्र अभियान के उद्देश्यों और लक्ष्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इसका उद्देश्य स्कूली बच्चों और किशोरों में तम्बाकू, शराब और अवैध पदार्थों के संपर्क में आने से रोकना है। उन्होंने शोध का हवाला देते हुए कहा कि नशीले पदार्थों का प्रयोग अक्सर तम्बाकू जैसे कानूनी रूप से उपलब्ध दवाओं से शुरू होते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इनमें से आधे से अधिक मामले 20 वर्ष की आयु से पहले शुरू होते हैं, जो स्कूलों में प्रारंभिक हस्तक्षेप के महत्व को रेखांकित करता है। ऐसे में, उन्होंने शिक्षकों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए शिक्षकों को इन पदार्थों के दुरुपयोग के शुरुआती संकेतों की पहचान कर उचित परामर्श प्रदान करने और छात्रों को उचित समुदाय-आधारित उपचार सेवाओं के लिए संदर्भित करने के लिए सही ज्ञान और उपकरणों से लैस करने पर जोर दिया।

इसके अलावा, सचिव ने किशोरों के मामलों को संवेदनशीलता के साथ संभालने के महत्व को रेखांकित करते हुए ऐसे मुद्दों से निपटने के दौरान गोपनीयता रखने और आवश्यक तौर पर गैर-न्यायिक समर्थन प्रदान करने का सुझाव दिया।

वहीं, कार्यशाला के अंतिम दिन, एसटीएनएम अस्पताल की मनोचिकित्सा विभाग प्रमुख नेत्र थापा ने राज्य में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की बढ़ती चिंता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि रोकथाम इलाज से बेहतर बताते हुए शिक्षकों को छात्रों की गतिविधियों पर सक्रियता से नजर रखने और सुरक्षित वातावरण को बढ़ावा देने हेतु औचक निरीक्षण करने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने प्रत्येक जिले में मनोवैज्ञानिकों की उपलब्धता पर प्रकाश डाला, जिनसे संकट के समय सहायता के लिए संपर्क किया जा सके।

उनके साथ, समापन समारोह में अतिरिक्त समाज कल्याण सचिव वंदना छेत्री ने स्कूली बच्चों के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए इस दो दिवसीय सत्र में प्राप्त ज्ञान से शिक्षकों को जोड़ने के महत्व से अवगत कराया। उन्होंने सहयोग कार्यक्रम के चार प्रमुख घटकों के बारे में जानकारी दी, जो सहयोग मित्र, सहयोग कर्मचारी, सहयोग सारथी और सहयोग आमा हैं, जिनमें से प्रत्येक को मादक द्रव्यों के सेवन की चल रही चुनौतियों से निपटने में प्रतिभागियों को शिक्षित करने और शामिल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसके अलावा, उन्होंने गोपनीयता बनाए रखने और पूरी प्रक्रिया के दौरान इन मामलों को सहानुभूति के साथ देखने की आवश्यकता पर जोर दिया।

कार्यक्रम के दौरान, संतोषी शर्मा ने शराब और तम्बाकू के नुकसान के खतरे, छात्रों की चिंताएं, और उनमें नशा एवं वापसी संकेतों को पहचानने के बारे में प्रतिभागियों को शिक्षित किया। वहीं, रंजू छेत्री और पिंकी भूटिया ने भी सूचनात्मक और परामर्श सत्रों का संचालन किया। इसके अलावा, कार्यशाला में रिसोर्स पर्सन के तौर पर श्रीमती आशा खत्री, डॉ शीतल छेत्री और डॉ सतीश रसाइली ने विभिन्न विषयों पर सत्र भी दिए गए, जिनमें नवचेतना मॉड्यूल और वेलनेस एंबेसडरों एवं पहाड़ी क्लबों के साथ इसका जुड़ाव, माइंडफुलनेस तथा योग-आधारित हस्तक्षेप, तनाव प्रबंधन तकनीक एवं अन्य शामिल रहे।

इस अवसर पर एक अनुभव-साझाकरण और चर्चा सत्र भी हुआ जिसके बाद सभी प्रतिभागियों के लिए प्रमाण पत्र वितरण समारोह हुआ। इसके अलावा, शिक्षकों को वास्तविक जीवन की स्थितियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए तैयार करने हेतु विभिन्न विषयों पर परिदृश्य आधारित गतिविधि भी आयोजित की गई।

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