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सीएपी ने सिलीगुड़ी में मुख्‍यमंत्री की बैठक को लेकर खड़े किए सवाल

गंगटोक । Citizen Action Party – Sikkim (सीएपी) ने रविवार को सिलीगुड़ी में मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (गोले) की अध्यक्षता में आयोजित समन्वय बैठक के बारे में अपनी गहरी चिंता और आक्रोश व्यक्त किया, जो कथित तौर पर सिक्किम और गोरखा क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए), पश्चिम बंगाल के छूटे हुए 12 समुदायों के लिए अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को संबोधित करने के लिए आयोजित की गई थी। जबकि कारण अपने आप में न्यायसंगत और महत्वपूर्ण है। उक्त बातें सिटीजन एक्शन पार्टी के सीनियर नेता टीआर शर्मा ने विज्ञप्ति के माध्यम से कही है।

उन्‍होंने कहा कि इस बैठक का स्थान और संरचना, जो दूसरे राज्य के एक शानदार होटल में आयोजित की गई। इसमें पश्चिम बंगाल सरकार और गोरखा प्रादेशिक प्रशासन का कोई प्रतिनिधित्व नहीं था। इसमें पश्चिम बंगाल के भाजपा सांसदों और भाजपा विधायकों ने भाग लिया। इस सभा के पीछे के वास्तविक इरादों के बारे में गंभीर और परेशान करने वाले सवाल खड़े करता है। एसकेएम सरकार को सिक्किम के लोगों को जवाब देना चाहिए। सिक्किम एक्शन पार्टी ने मांग किया है कि इस बैठक को किसने अधिकृत किया? अगर इसकी पहल सिक्किम सरकार ने की थी, तो इसे पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में क्यों आयोजित की गई? ऐसी महत्वपूर्ण चर्चा को दूसरे राज्य में आयोजित करना क्यों ज़रूरी था और क्यों इतने भव्य माहौल में? इसमें छिपे हुए इरादे और पारदर्शिता की कमी दिखती है।

पार्टी ने कहा कि सिक्किम के मुख्यमंत्री और कैबिनेट सदस्यों की भूमिका क्या थी? यदि यह बैठक किसी अन्य संस्था द्वारा आयोजित की गई थी, तो मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री और विधायकों सहित पूरा राज्य नेतृत्व इसमें क्यों मौजूद था? एक बैठक में भाग लेने के लिए सामूहिक रूप से राज्य छोड़ने का क्या औचित्य हो सकता है, जो हमारे समुदायों के मुद्दों को हल करने के एक ईमानदार प्रयास की बजाय एक राजनीतिक गठबंधन बनाने की कवायद की तरह प्रतीत होती है? इसके अलावा, पश्चिम बंगाल सरकार या जीटीए से किसी भी प्रतिनिधि की अनुपस्थिति बड़ी शंका पैदा करती है? ऐसी बैठक में दो प्रमुख हितधारकों को अलग क्यों रखा गया? क्या एसकेएम सरकार सिक्किम-दार्जिलिंग विलय का मार्ग प्रशस्त कर रही है? पश्चिम बंगाल के एक भाजपा सांसद ने पहले ही सदन में पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों को मिलाकर एक नया राज्य बनाने के लिए एक विधेयक का प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव का दार्जिलिंग के सांसद राजू बिस्ता ने खुलकर समर्थन किया है।

पार्टी ने कहा कि इस बैठक से यह आशंका पैदा होती है कि एसकेएम सरकार एक ऐसे एजेंडे में शामिल है, जो सिक्किम और दार्जिलिंग के विलय का कारण बन सकता है। ऐसी सभा में मुख्यमंत्री की उपस्थिति इन संदेहों को और बढ़ाती है। सिक्किम के लोगों को इस स्थिति की गंभीरता को समझना चाहिए। यह सिर्फ एक बैठक के बारे में नहीं है, यह सिक्किम की पहचान और संप्रभुता के भविष्य के बारे में है। एक अलग राज्य में ऐसे नेताओं की मौजूदगी में, जिन्होंने खुले तौर पर एक नए राज्य के निर्माण का समर्थन किया है, ऐसी चर्चाओं का आयोजन करना एक स्पष्ट और खतरनाक संकेत देता है। सिक्किम की स्वायत्तता और राज्य का दर्जा खतरे में है, बाहरी ताकतों से नहीं, बल्कि अंदर से, संभवतः हमारी अपनी चुनी हुई सरकार से है। एसकेएम सरकार से तत्काल जवाब मांगता है। ऐसी संदिग्ध परिस्थितियों में यह बैठक क्यों हुई? कौन सा छिपा हुआ एजेंडा चलाया जा रहा है? सिक्किम के लोग चुपचाप खड़े होकर नहीं देखेंगे, क्योंकि हमारे राज्य को पिछले दरवाजे से किए जा रहे सौदों और राजनीतिक चालों से खतरा है। सीएपी-सिक्किम सभी सिक्किमी नागरिकों से सतर्क रहने और एसकेएम सरकार से जवाबदेही की मांग करने का आग्रह करता है। हमारे राज्य के भविष्य को हमारी सीमाओं के बाहर लक्जरी होटलों में आयोजित गुप्त बैठकों में नहीं बेचा जा सकता है और न ही बेचा जाएगा।

#anugamini #sikkim

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