गंगटोक । सिटीजन एक्शन पार्टी-सिक्किम (CAP) के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को राज्य परिवहन और वन व पर्यावरण विभागों का दौरा कर हाल में जारी विभागीय अधिसूचनाओं के संबंध में अलग-अलग ज्ञापन सौंपे और इन्हें आम लोगों के लिए अहितकारी बताते हुए वापस लेने की मांग की। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष (प्रशासनिक) लाकपा शेरपा के नेतृत्व वाली उक्त प्रतिनिधिमंडल में पार्टी के प्रमुख नेता और कार्यकर्ता शामिल थे।
Citizen Action Party – Sikkim द्वारा इस संबंध में एक बयान जारी कर कहा गया, हम सिक्किम सरकार के परिवहन विभाग की पहल से पूरी तरह आश्चर्यचकित और स्तब्ध हैं। सभी वाहनों पर मोटर वाहन कर वर्तमान दर से 100 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया है। सिक्किम अभी भी पिछले साल अक्टूबर में तीस्ता नदी में आई विनाशकारी बाढ़ के प्रभाव से जूझ रहा है और राज्य को पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों से जोड़ने वाले एनएच-10 पर लगातार जाम लग रहा है। खराब सड़क के कारण सिलीगुड़ी से सिक्किम तक की यात्रा का समय और परिवहन लागत काफी बढ़ गई है जिससे राज्य भर में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसके अलावा, पूरे सिक्किम में सडक़ें खस्ता हालत में हैं, जिससे ईंधन की खपत वाहन मरम्मत खर्च भी बढ़ी है।
बयान में आगे कहा गया है, बारिश एवं भूस्खलन के कारण उत्तर सिक्किम में लाचेन, लाचुंग और गुरुदोंगमार जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों के साथ अन्य पर्यटन स्थलों तक जाना भी दूभर है। इसके परिणामस्वरूप, पर्यटन में गिरावट आई है और टूर ऑपरेटरों और स्थानीय सेवाओं की आजीविका को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। इसके अलावा, सीएपी-सिक्किम ने वाणिज्यिक वाहन खरीदारों द्वारा वाहनों का पंजीकरण करते समय विधायकों से सिफारिशें मांगे जाने की जानकारी देते हुए कहा, जहां तक हम जानते हैं, ऐसा कोई नियम मौजूद नहीं है और अगर विभाग ऐसी सिफारिशें मांग रहा है, तो यह प्रथा पूरी तरह से अवैध है। इस संबंध में कोई अधिसूचना, परिपत्र या कार्यालय आदेश जारी नहीं किया गया है। इसलिए हमारा अनुरोध है कि निर्दोष लोगों को अनावश्यक रूप से प्रताड़ित नहीं करना चाहिए। साथ ही, पार्टी ने परिवहन विभाग से सात दिनों के भीतर अधिसूचना वापस लेने के लिए तत्काल आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की है। ऐसा न होने पर उन्होंने राज्य वासियों के हित में बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी भी दी है।
दूसरी ओर, सीएपी-सिक्किम ने वन उत्पादों पर रॉयल्टी दरों और शुल्कों के संबंध में जारी अधिसूचना पर भी वन विभाग को एक ज्ञापन सौंपते हुए कहा, हमारा मानना है कि इस संशोधन से आम लोगों, खासकर सिक्किम के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को फायदा होगा। हमारी पार्टी संशोधित रॉयल्टी दरों पर चिंता व्यक्त करना चाहती है जो आम जनता पर प्रतिकूल प्रभाव पर विचार किए बिना अचानक बढ़ा दी गई है। ऐसा करना ग्रामीण निवासियों के लिए विशेष रूप से सुविधाजनक होगा, जिनके लिए वन उत्पाद निर्वाह और आजीविका के लिए महत्वपूर्ण हैं। अधिसूचना विविध वन उपज पर रॉयल्टी और जलाऊ लकड़ी और चारे पर रॉयल्टी के तहत विभिन्न वन उत्पादों पर रॉयल्टी प्रदान करती है, जो कि केवल एक कर है। सिक्किम के लोग पहले से ही बढ़ती महंगाई का दबाव झेल रहे हैं. ऐसे फैसले के लागू होने से उपभोक्ता पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा हम सवाल करना चाहते हैं कि वन व पर्यावरण विभाग को इतने ऊंचे कर और रॉयल्टी लगाने के लिए क्यों प्रेरित किया गया। पार्टी ने विभाग से इन संशोधित दरों और शुल्कों पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करते हुए 10 दिनों के भीतर अधिसूचना वापस करने का अनुरोध किया है।
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