गंगटोक । सिक्किम के 12 जाति समूहों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्रदान करने की दिशा में रविवार को सिलीगुड़ी में मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग की अध्यक्षता में हुई बैठक पर Citizen Action Party – Sikkim के रुख की सत्ताधारी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा पार्टी ने आलोचना की है। एसकेएम ने कहा कि सीएपी-सिक्किम इन जाति समूहों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने के खिलाफ है।
गौरतलब है कि इन 12 जाति समूहों में खस छेत्री-बाहुन, राय, मंगर, गुरुंग, थामी, याखा, दीवान, माझी, संन्यासी, सुनुवार, भुजेल और नेवार शामिल हैं जो लंबे समय से अनुसूचित जनजाति की मान्यता देने की मांग कर रहे हैं।
एसकेएम के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता सीपी शर्मा ने एक विज्ञप्ति में बताया कि बीते 6 अक्टूबर को राज्य के छूटे हुए 12 जाति समूहों को संवैधानिक मान्यता देने के लिए सिलीगुड़ी में मुख्यमंत्री पीएस गोले की अध्यक्षता में हुई बैठक पर सिटीजन एक्शन पार्टी द्वारा जतायी गयी आपत्ति से यह स्पष्ट हो गया है कि यह पार्टी इन 12 जाति समूहों के खिलाफ है। उनके अनुसार, छूटे हुए इन जाति समूहों को संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिए मुख्यमंत्री गोले के नेतृत्व वाली सरकार को सीएपी द्वारा निर्धारित सीमा के अंदर करना उचित नहीं लगता। पिछली एसडीएफ सरकार के दौरान इन जाति समूहों को 25 वर्षों तक उनकी संवैधानिक मान्यता से वंचित रखा गया था, जबकि सीएपी जो एसडीएफ के साथ रही है ने अब अपना असली रूप दिखाया है।
शर्मा ने कहा, यह सर्वविदित है कि 2019 में सरकार में आने के बाद से ही एसकेएम सरकार और मुख्यमंत्री बार-बार इस मुद्दे को दिल्ली में उठाते रहे हैं। लेकिन, सीएपी द्वारा एसकेएम पर इस मुद्दे को लेकर राजनीति करने का आरोप उनकी निकृष्ट मानसिकता को दर्शाता है। लेकिन, सीएपी को यह पता होना चाहिए कि संवैधानिक मान्यता के इस संघर्ष में अगर हमें बैठक करने की जरूरत पड़ी तो हम सिलीगुड़ी, कोलकाता और दिल्ली तक पहुंचेंगे। एसकेएम का मानना है कि सीएपी के तथाकथित नेता, जो यह भी नहीं समझते कि यह मुद्दा अराजनीतिक है, केवल स्वार्थपूर्ण राजनीतिक खेल खेलकर समाज को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं।
एसकेएम प्रवक्ता ने आगे कहा, अतीत में नेपाली भाषा मान्यता की मांग पूरी करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री नर बहादुर भंडारी ने अपने संघर्ष में कोई प्रोटोकॉल नहीं देखा, बल्कि केवल भाषा मान्यता की मांग को लेकर काम किया। इसलिए नेपाली भाषा को संविधान में जगह मिली। लेकिन दुर्भाग्य से पूर्ववर्ती एसडीएफ सरकार के मुख्यमंत्री द्वारा प्रोटोकॉल का पालन करने के कारण 12 जाति समूहों को धोखा खाना पड़ा। ऐसे में, यह स्पष्ट हो गया है कि एसडीएफ पार्टी की परंपरा वाली सीएपी की भी अब यही घटिया और स्वार्थी सोच है कि 12 जाति समूहों को उनका संवैधानिक अधिकार नहीं मिलना चाहिए। और तो और विडंबना यह है कि इसी पार्टी में बैठे 12 जाति समूहों के सदस्य अपने खिलाफ कही गई बातों के समर्थन में ही ताली बजा रहे हैं।
वहीं, इससे पहले भी जनजाति मान्यता के मुद्दे पर एसकेएम द्वारा की गई बैठकों का जिक्र करते हुए शर्मा ने कहा, एसकेएम सरकार में आने के बाद इस मुद्दे पर सिलीगुड़ी में हुई यह पहली बैठक नहीं है। इससे पहले, सिक्किम के अंदर ऐसी कई महत्वपूर्ण बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं। अब जब यह मुद्दा राज्य ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा बन गया है, तो सिलीगुड़ी में हुई बैठक को गलत तरीके से पेश किया जाना यह साबित कर रहा है कि सीएपी की मंशा गलत है। उन्होंने पूछा, क्या सीएपी को पता है कि मुख्यमंत्री गोले ने प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री को इस संबंध में कितनी बार अवगत कराया है? क्या उन्हें इसकी जानकारी है कि एसकेएम सरकार के पहले कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही सम्मान भवन में 12 जाति समूहों के नेताओं के साथ एक बैठक हुई थी जिसमें इस मुद्दे को आगे बढ़ाने का प्रस्ताव पारित किया गया था?
इस कड़ी में शर्मा ने 5 अक्टूबर 2021, 11 नवंबर, 2021, 24 नवंबर 2023, 4 मार्च 2023, 5-8 दिसंबर 2023 और 3 अगस्त 2024 को की गई बैठकों का हवाला दिया। उनके अनुसार, कल सिलीगुड़ी में इस मुद्दे पर सातवीं बैठक हुई थी जिसमें इसे व्यापक बनाते हुए सिक्किम और पश्चिम बंगाल के हाशिये पर पड़े समुदायों को आदिवासी मान्यता देने पर सार्थक चर्चा हुई। शर्मा ने कहा, यह अफसोस की बात है कि सीएपी-सिक्किम राज्य वासियों और 12 जाति समूहों के हित में किये जा रहे कार्य को भी राजनीति के चश्मे से देखती है। उनके अनुसार, सीएपी ने सिलीगुड़ी की बैठक को लेकर जो अमर्यादित आरोप लगाए हैं, उसे साबित करे, अन्यथा 12 जाति समूहों से माफी मांगे।
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