गारंटीकृत ऋण का पैसे में प्रमोटरों ने की गड़बड़ी
गंगटोक, 18 अक्टूबर । ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट के कारण उत्तर सिक्किम के चुंगथांग में तीस्ता नदी पर बनी 1200 मेगावाट की तीस्ता-3 जल विद्युत परियोजना के टूटने को लेकर आज बड़े खुलासे करते हुए सिक्किम के मुख्यमंत्री Prem Singh Tamang (Golay) ने कहा कि पिछली सरकार के शासन में इस परियोजना को विकसित करने के लिए सिक्किम सरकार द्वारा ली गई गारंटीकृत ऋण का पैसा इसके प्रमोटरों द्वारा संदिग्ध निर्माण चरण के दौरान बड़ी चतुराई एवं आश्चर्यजनक रूप से अपनी ‘बायीं जेब से दाहिनी जेब’ में स्थानांतरित कर दिया गया था। राज्य सरकार का अनुमान है कि इस परियोजना को अब पर्याप्त धनराशि के साथ फिर से चालू होने में चार साल से अधिक समय लग सकता है। साथ ही मुख्यमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा कि इन सारी तकनीकी और वित्तीय खामियों की एक उचित एजेंसी द्वारा जांच कराई जाएगी ताकि चुंगथांग बांध ढहने के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराते हुए कानूनी दंड दिया जा सके।
मुख्यमंत्री गोले ने सोमवार को यहां आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन में तीस्ता ऊर्जा लिमिटेड (अब सिक्किम ऊर्जा लिमिटेड) द्वारा लगभग 14000 हजार करोड़ रुपये की तीस्ता-3 जल विद्युत परियोजना की स्थापना से लेकर पूरा होने तक कथित अनियमित ठेकों, वित्तीय अनियमितताओं और तकनीकी समझौतों का विवरण पेश किया। उन्होंने कहा कि तत्कालीन एसडीएफ सरकार तब चुप रही जब घटिया बांध निर्माण के दौरान कथित तौर पर बड़े समझौते किए गए, जिसके परिणामस्वरूप यह ढह गया और डिक्चू, सिंगताम और रंगपो में नीचे की ओर तबाही मच गई। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि तीस्ता ऊर्जा लिमिटेड के प्रमोटरों ने अपनी खुद की इन-हाउस निर्माण फर्म बनाकर उसे सभी कार्य ठेके दिए, जिससे इस मेगा प्रोजेक्ट के पूरा होने से पहले ही उन्हें उनके हिस्से के रुप में 13965 करोड़ मिल गए। उनके अनुसार, तीस्ता ऊर्जा लिमिटेड द्वारा अपनी ही कंपनी को दी गई यह आउटसोर्सिंग एनएचपीसी जैसे अनुभवी जल विद्युत डेवलपर्स की कार्यप्रणाली के बिल्कुल विपरीत है।
मुख्यमंत्री ने कहा, जब एनएचपीसी एक जल विद्युत परियोजना शुरू करती है, तो यह सुरंग, सड़क और अन्य निर्माण कार्यों के लिए एक खुली निविदा जारी करती है और इसे प्रतिष्ठित स्वतंत्र कंपनियों को सौंपती है, लेकिन काम को अपने नियंत्रण में रखती है। हालांकि, तीस्ता ऊर्जा लिमिटेड ने परियोजना से संबंधित कार्यों के लिए अपनी स्वयं की निर्माण कंपनी अबीर इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड का गठन किया जिसका पता भी तीस्ता ऊर्जा लिमिटेड का ही है। पत्रकार सम्मेलन में मुख्यमंत्री द्वारा साझा किए गए दस्तावेजों के अनुसार, तीस्ता-3 जल विद्युत परियोजना का काम सितंबर 2007 में अबीर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड कंसोर्टियम को टर्नकी आधार पर सौंपा गया था। यहां गौर करने वाली बात यह है कि अबीर इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रमोटर वही समूह था जो तीस्ता-3 जल विद्युत परियोजना डेवलपर एथेना पावर प्राइवेट लिमिटेड में था। दस्तावेज के अनुसार, वे एक ही परिवार की सहयोगी कंपनी का हिस्सा थे।
मुख्यमंत्री ने आगे बताया, ‘तीस्ता-3 जल विद्युत परियोजना लागत में तीन गुना वृद्धि हुई है। सुरंग बनाने समेत सारा काम अबीर इंफ्रास्ट्रक्चर को दे दिया गया और रेट 300 गुणा बढ़ा दिया गया। हालांकि, इसकी कोई जांच नहीं की गई थी और अत्यधिक बढ़ी हुई दरों के बावजूद तत्कालीन सरकार द्वारा इसे अनुमोदित किया गया था। ऐसे में उन्होंने परियोजना के लिए बैंकों से ली गई पूरी ऋण राशि अपनी स्वयं की निर्माण कंपनी के माध्यम से हड़प ली। दस्तावेज के अनुसार, परियोजना के इंजीनियरों की खरीद और निर्माण ठेका अबीर इंफ्रास्ट्रक्चर को आवंटित किया गया था। ऐसे में अबीर इंफ्रास्ट्रक्चर की शुद्ध संपत्ति और लाभ में वृद्धि जारी रही और तीस्ता ऊर्जा लिमिटेड से पैसा निकालना जारी रहा। दस्तावेज के अनुसार, जुलाई 2007 से 2012 तक, प्रमोटरों को परियोजना के साथ कुछ भी करने की खुली छूट दी गई थी।
इस पर गोले ने जोर देकर कहा कि तत्कालीन राज्य सरकार ने कभी भी मनमाने ढंग से अबीर इंफ्रास्ट्रक्चर को अत्यधिक लागत पर सौंपे गए ठेका कार्यों का मूल्यांकन नहीं किया। इस तरह, तीस्ता ऊर्जा लिमिटेड का पैसा अबीर इंफ्रास्ट्रक्चर को चला गया। दूसरे शब्दों में, बायीं जेब से सारा पैसा दाहिनी जेब में चला गया। उनके अनुसार, तीस्ता-3 परियोजना के प्रमोटरों को पता था कि बैंक गारंटर के रूप में ऋण का सारा बोझ सिक्किम सरकार पर है, जिसका उन्होंने पूरा फायदा उठाया।
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