गंगटोक । भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की स्मृति में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी पांगथांग स्थित जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयन पर्यावरण संस्थान में मंगलवार को वार्षिक समारोह आयोजित किेया गया।
गौरतलब है कि संस्थान 1988 से अपने पांच क्षेत्रीय केंद्रों के साथ उत्तराखंड के अल्मोड़ा स्थित मुख्यालय में 10 सितंबर को अपना वार्षिक दिवस मनाता आ रहा है। इस वर्ष, पांगथांग स्थित सिक्किम क्षेत्रीय केंद्र में इसका आयोजन किया गया।
इसकी शुरुआत में संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र प्रमुख डॉ राजेश जोशी ने मुख्य अतिथि राज्य के वन व पर्यावरण मंत्री पिंछो नामग्याल लेप्चा एवं सक्वमानित अतिथि बागवानी सचिव तिलक गजमेर के साथ केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ के गोपीकृष्णन और सिक्किम विश्वविद्यालय के बागवानी विभाग के प्रोफेसर नीलाद्रि बाग का स्वागत किया। साथ ही उन्होंने केंद्र द्वारा की गई वैज्ञानिक और विकासात्मक पहलों को प्रस्तुत करते हुए विगत वर्षों में इसके प्रगतिशील विकास पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर अपने संबोधन में मंत्री लेप्चा ने हिमालयी समुदाय के लिए महत्वपूर्ण अनुसंधान और विकासात्मक गतिविधियों के संचालन में संस्थान के प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने जलवायु परिवर्तन और सांस्कृतिक पहचान के ह्रास से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए संस्थान से सिक्किम में कमजोर आदिवासी समुदायों, विशेष रूप से लेप्चा जनजाति को लाभ पहुंचाने वाली पहलों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।
इस दौरान, प्रो नीलाद्रि बाग ने “चमत्कारी घास (बांस), गोल्डन ब्रू (चाय), बर्ड ऑफ पैराडाइज के उत्पादन के लिए इन विट्रो प्रौद्योगिकी और जैविक खेती में इलायची की खेती में सुधार के लिए जैव-नियंत्रण उपायों” पर 11वां पं जीबी पंत लोकप्रिय व्याख्यान दिया। उन्होंने हिमालयी क्षेत्र में चाय को पारिस्थितिकीय रूप से संचालित कृषि पद्धति के रूप में अत्यधिक संभावना के साथ सिक्किम की स्थिति को औषधीय पौधों के भंडार के रूप में रेखांकित किया।
वहीं, सम्मानित अतिथि राज्य के बागवानी सचिव तिलक गजमेर ने विभाग के प्रयासों के बारे में बताते हुए हिमालयी समुदायों के विकास के लिए संस्थान के अनुसंधान योगदान की सराहना की। इसके साथ ही, वरिष्ठ डीएसटी वैज्ञानिक डॉ के गोपीकृष्णन ने सिक्किम में जीबीपी-एनआईएचई द्वारा कार्यान्वित की जा रही विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार परियोजनाओं का अवलोकन प्रदान किया।
कार्यक्रम के दौरान डीएसटी द्वारा वित्त पोषित एक परियोजना का आधिकारिक रूप से शुभारंभ किया गया और गणमान्य व्यक्तियों द्वारा प्रसार सामग्री का विमोचन किया गया। इससे पहले, कार्यक्रम में केंद्रीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा समर्थित “उत्तर सिक्किम के जंगू और काबी ब्लॉकों में आदिम जनजाति के आर्थिक-सामाजिक विकास हेतु विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार केंद्र के माध्यम से प्राकृतिक संसाधन आधारित एकीकृत आजीविका दृष्टिकोण को बढ़ावा देना” नामक एक परियोजना का शुभारंभ किया गया।
इसके अलावा, समारोह के बाद जांगू के मुतांची लोम आल शेजुम के सहयोग से “सिक्किम में आजीविका और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन को बढ़ाने के लिए एसटीआई-हब के माध्यम से प्राकृतिक संसाधन-आधारित एकीकृत आजीविका को बढ़ावा देना” विषय पर एक परामर्श कार्यशाला भी आयोजित की गई।
कार्यक्रम में सिक्किम सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारियों, सिक्किम विश्वविद्यालय, सिक्किम राज्य विश्वविद्यालय, एसआरएम विश्वविद्यालय, सीएईपीएचटी और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, रानीपूल के प्रोफेसरों और छात्रों के साथ-साथ केंद्र सरकारी संगठनों, एनजीओ प्रतिनिधियों और पंचायत अध्यक्षों ने भाग लिया। कार्यक्रम का समापन प्रयोगशालाओं और ग्रामीण प्रौद्योगिकी केंद्र के दौरे के साथ हुआ।
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