गंगटोक, 09 अक्टूबर। सिक्किम में विनाशकारी प्राकृतिक आपदा के बाद राज्य सरकार की ओर से राहत व बचाव कार्य जोरों पर है और वर्तमान में 28 राहत शिविरों में 6800 से अधिक लोग शरण लिए हुए हैं। वहीं, आपदाग्रस्त अधिकांश क्षेत्रों में सड़क सम्पर्क बहाल कर दिया गया है।
आपदा की स्थिति की समीक्षा हेतु आज राज्य के मुख्य सचिव वीबी पाठक ने यहां राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन समिति के साथ एक वर्चुअल बैठक के दौरान यह जानकारी दी। बैठक में केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा, सडक़ परिवहन व राजमार्ग सचिव, सैन्य मामलों के सचिव, एनडीएमए के सदस्य सचिव, आईडीएस सीआईएससी, NDRF डीजी, डीजीएमओ, आईएमडी डीजी, BRO डीडीजी के अलावा केंद्रीय गृह एवं रक्षा मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
बैठक में बताया गया कि मौसम की स्थिति में सुधार के साथ ही आपदा के छह दिन बाद आज से राज्य के उत्तरी हिस्से में फंसे लोगों को निकालने और एयर लिफ्टिंग का काम शुरू हो गया है। साथ ही प्रभावित क्षेत्रों में खाद्य सामग्री, दवाएं और एलपीजी सहित अन्य आवश्यक आपूर्ति की जा रही है। वहीं, मौसम विभाग के महानिदेशक ने बताया कि आगामी 11 से 13 अक्टूबर तक मौसम के अनुकूल रहने की संभावना है। एनडीआरएफ की ओर से महानिदेशक ने बताया कि राज्य में राहत व बचाव कार्यों के लिए उनकी छह टीमें तैनात की गई हैं। इसके अलावा, एनडीआरएफ की तीन रिजर्व टीमें सिलीगुड़ी में स्टैंडबाय पर हैं। वहीं, राहत व बचाव एवं पुनर्बहाली कार्यों में राज्य की सहायता हेतु पर्याप्त संख्या में सेना और वायु सेना की टीमों और साजो-सामानों को तैनात किया गया है।
बैठक में गृह सचिव ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा राज्य की स्थिति पर चौबीसों घंटे उच्चतम स्तर पर निगरानी रखी जा रही है। उन्होंने समिति को सूचित किया कि स्थिति का जायजा लेने हेतु अंतर मंत्रालयी समन्वय दल सिक्किम पहुंच गया है और राज्य सरकार को आवश्यक अतिरिक्त केंद्रीय सहायता भी जारी की जा रही है। इसी बीच, केंद्रीय एजेंसियों और सिक्किम सरकार के राहत और बचाव कार्यों की समीक्षा करते हुए कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने राज्य सरकार और केंद्रीय एजेंसियों द्वारा कम से कम समय में लोगों को निकालने की प्राथमिकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जहां पुल बह गए हैं वहां के लोगों के लिए सड़क संपर्क बहाल करने हेतु बेली ब्रिज को प्राथमिकता के आधार पर शुरू किया जाना चाहिए। उन्होंने केंद्र द्वारा राज्य को हर संभव और सहायता प्रदान करने का भी आश्वासन दिया।
वहीं, बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि सेना की त्रिशक्ति कोर के जवान आपदा में कटे हुए गांवों को फिर से जोड़ने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चला रहे हैं। इसमें आपदा में सर्वाधिक प्रभावित चुंगथांग के रास्ते उत्तर सिक्किम से कनेक्टिविटी बहाल करने पर जोर दिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, भारतीय सेना के जवानों ने कठिन परिश्रम कर चुंगथांग के उत्तर-पश्चिम स्थित अलग-थलग पड़े राबोम गांव के दुर्गम इलाके में पहुंच कर अभी तक करीब 200 लोगों को बचाया है।
सेना के एक अधिकारी ने बताया कि उत्तर सिक्किम के चाटेन, लाचेन, लाचुंग और थांगु इलाकों में फंसे 63 विदेशी नागरिकों सहित 2000 पर्यटकों की सूची तैयार की गई है और उन्हें भोजन, चिकित्सा सहायता, आवास और टेलीफोन सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। उन्होंने आगे बताया आपदा के छह दिन बाद मंगन जिले के लाचेन और लाचुंग में फंसे 149 लोगों को आज हवाई मार्ग से निकाला गया है। इस कार्य में भारतीय वायु सेना द्वारा एम8, एफ4, एफ7, सी2, एमआई 17 और चिनूक हेलीकॉप्टरों का उपयोग किया जा रहा है। बचाए गए लोगों में लाचेन के चाटेन गांव के 29 लोग शामिल हैं, जबकि लाचुंग गांव से 120 लोगों को बचाया गया है।
इधर, मंगन लाचेन के विधायक सामदुप लेप्चा ने भी आज जिला शासक हेम कुमार छेत्री और पुलिस अधीक्षक सोनम भूटिया के साथ चाटेन पहुंच कर स्थानीय पंचायत और गांव के लोगों से मुलाकात की। मगन एसपी भूटिया ने पत्रकारों को बताया कि लाचेन में कुल 523 पर्यटक फंसे हुए थे। इनमें से करीब 80 पर्यटकों और स्थानीय लोगों को कल निकाला जाएगा। वहीं, उन्होंने लाचेन में एलपीजी सिलेंडर की किल्लत और बिजली आपूर्ति नहीं होने का जिक्र करते हुए कहा कि हमने कल हवाई मार्ग से दवाइयां पहुंचाने का वादा किया है। लेकिन एलपीजी के मामले में फिलहाल लोगों को जलावन का उपयोग करना होगा। इसके साथ ही उन्होंने जेमू गांव में ग्रेफ गार्ड का काम करने वाले एक व्यक्ति एवं उसकी पत्नी के लापता होने की जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय सेना उन्हें बचाने की कोशिश कर रही है। वहीं, मुंशीथांग गांव को भी गंभीर क्षति हुई है लेकिन वहां कोई भी लापता या मृत नहीं है।
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