गंगटोक : भारी बारिश और भूस्खलन के कारण सिक्किम के लाचुंग में बीते 30 मई से फंसे 1600 से अधिक पर्यटकों को सफलतापूर्वक निकाल लिया गया है। मंगन के जिला कलेक्टर अनंत जैन ने आज यह जानकारी दी।
आज यहां पत्रकारों को जानकारी देते हुए डीसी जैन ने कहा, हमने आज सुबह करीब 8 बजे लाचुंग से पर्यटकों की निकासी शुरू की। वहां करीब 1600 पर्यटक थे, जिनमें 750 पुरुष, 560 महिलाएं और करीब 380 बच्चे थे। इनके काफिले में कुल 285 वाहन और 16 बाइक शामिल थे। उन्होंने कहा कि भारी बारिश के कारण लाचुंग और फेदांग के बीच बड़े पैमाने पर पानी भरने और कई भूस्खलन होने के बाद पर्यटक फंस गए थे। उन्होंने बताया कि इस मार्ग पर करीब 8-10 भूस्खलन हुए हैं। उसके बाद 29 मई की रात से ही प्रशासन की टीमें मलबा हटाने का काम कर रही हैं। कल शाम तक ही सडक़ें साफ हो पाईं और तभी हमने आज के निकासी अभियान की तैयारी की।
जैन ने कहा, निकाले गए लोगों को अब चरणबद्ध तरीके से लाचुंग से फेदांग और फिर गंगटोक ले जाया जा रहा है। लाचुंग में अब कोई पर्यटक नहीं फंसा है। वहीं, लाचेन की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर डीसी ने बताया कि यह इलाका फिलहाल ज़ेमा और रबांग दोनों तरफ से कटा हुआ है। हालांकि उन्होंने वहां मौजूद पर्यटकों के सुरक्षित होने की जानकरी देते हुए कहा, वहां सभी पर्यटक अपने होटलों में रह रहे हैं। हम लाचेन में पुलिस और स्थानीय प्रशासन के संपर्क में हैं। वहां करीब 150 पर्यटक हैं। एनडीआरएफ की टीमें भी घटना स्थल पर मौजूद हैं और हम मुंशीथांग से होते हुए केदांग की ओर जाने जैसे वैकल्पिक मार्गों की तलाश कर रहे हैं, ताकि जरूरत पडऩे पर ट्रांसशिपमेंट की सुविधा मिल सके।
वहीं, विगत 29 मई को अचानक आई बाढ़ के दौरान सडक़ दुर्घटना के बाद लापता हुए पर्यटकों के एक समूह के बारे में डीसी ने बताया, दुर्घटना 29 मई की देर रात हुई, जिसकी रिपोर्ट मिलने के बाद मैं चुंगथांग में था। पुलिस, आईटीबीपी और सेना की टीमें रात करीब 11 बजे मौके पर पहुंचीं। ओडिशा के दो पर्यटकों को बचा लिया गया और उन्हें अस्पताल भेजा गया। लेकिन आठ पर्यटकों और एक चालक सहित नौ लोग अभी भी लापता हैं। उन्होंने बताया कि खोज और बचाव दल पिछले दो दिनों से लगातार काम कर रहे हैं, लेकिन लगातार बारिश और नदी की खतरनाक स्थिति ने प्रगति में बाधा डाली है। डीसी ने कहा, नदी का पानी 10 फीट से अधिक बढ़ गया था, जिससे वाहन को बरामद करना या लापता व्यक्तियों का पता लगाना बेहद मुश्किल हो गया था। लेकिन बचाव अभियान जारी है।
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