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महिला उम्‍मीदवारों को SDF ने किया दरकिनार

विरोधी करेंगे फायदा उठाने की कोशिश

गंगटोक । सिक्किम में कुल 4 लाख 62 हजार 456 मतदाता हैं महिला मतदाताओं की संख्या 2 लाख 30 हजार 334 है। राज्य में पुरुष मतदाताओं की संख्या महिला मतदाताओं से मात्र 17 सौ 83 अधिक है। यहां करीब पचास फीसदी मतदाता पुरुष और करीब 49.86 फीसदी महिला मतदाता हैं।

चूंकि सिक्किम एक ऐसा राज्य है जहां पुरुष और महिला मतदाताओं का अनुपात लगभग बराबर है, इसलिए महिला कारक हमेशा सबसे बड़ा कारक बनकर उभरता है। ऐसे में सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF) पार्टी द्वारा एक भी महिला उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतार पाने से राजनीतिक जगत में कई गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। ऐसे सवालों का सामना आज एसडीएफ को सभी विपक्षी दलों से करना पड़ रहा है।

एसडीएफ, जिसने बार-बार अपने घोषणापत्रों में वादा किया है कि संसद और विधानसभा में महिलाओं के लिए आरक्षण 33 प्रतिशत होना चाहिए, उसे अब सिक्किम में महिला समाज को इसे लेकर जवाब देना चाहिए कि उसने आखिर क्‍यों किसी महिला को उम्‍मीदवार नहीं बनाया। सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से सशक्त, सिक्किम की महिलाएं निश्चित रूप से इसका लेखा जोखा करेंगी।

आज सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ)-पार्टी पुरुष प्रधान समाज का वकालत करती दिख रही है। वह सोचने लगी है कि केवल पुरुष ही विजयी होते हैं। ऐसा राज्य की प्रगतिशील महिलाओं का मानना है। इसलिए एसडीएफ को लेकर ऐसे कई सवाल पूछे जा रहे हैं।

इस बार के विधानसभा चुनाव में, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) पार्टी और कांग्रेस ने महिलाओं को चार-चार सीटें, सिटीजन एक्शन पार्टी (CAP) ने तीन सीटें, (सीएपी ने पांच महिला उम्मीदवारों को टिकट‍ दिया था जिसमें से दो के नामांकन पत्र खारिज कर दिए गए), BJP ने दो सीटें महिला उम्‍मीदवारों को दी है। लेकिन SDF पार्टी ने किसी महिला उम्‍मीदवार को टिकट नहीं दिया।

पूर्व मुख्‍यमंत्री तथा एसडीएफ अध्‍यक्ष पवन चामलिंग, जिन्होंने अपनी पिछली सरकार में महिलाओं को मंत्री पद दिया था, चुनाव में किसी महिला को टिकट ही नहीं दिया। इस रणनीति के भीतर क्या रहस्य छिपे हैं, एसडीएफ ने अभी तक आधिकारिक तौर पर मतदाताओं को सूचित नहीं किया है। क्या ओबीसी के मुद्दे पर सत्ता हासिल करने वाले पवन चामलिंग आज किसी सोच से ग्रसित हो गए हैं।

सियासी माहौल चामलिंग के चुनाव के दौरान अपनी प्रतिक्रिया देने का इंतजार कर रहा है। भले ही पवन चामलिंग सत्ता में नहीं हैं, फिर भी एक भी उम्मीदवार का चयन क्यों नहीं किया गया। ऐसा नहीं है कि एसडीएफ में महिला नेताओं की कमी है। मनिता मंगर, कविता सुब्बा, नीरू सेवा और जूडी दहाल जैसी अनुभवी और मजबूत महिला नेता पार्टी में काफी काम कर रही हैं। इस सवाल का जवाब न मिलने से SDF के विभिन्न स्तर के कार्यकर्ता असमंजस में पड़ गये हैं। ऐसे में चामलिंग महिला मतदाताओं को कैसे वापस पा पाते हैं, यह उनकी ताकत पर निर्भर करेगा।

विश्लेषकों ने वे मुद्दे भी उठाए हैं जो फिलहाल विवाद में हैं। अगर हमें संपूर्ण विधानसभा का सही ढंग से विश्लेषण करना है, तो चामलिंग ने वही गलती की जो उन्होंने पांच साल पहले उम्मीदवारों के चयन में की थी, लेकिन इस बार, महिलाओं को छोड़कर, उन्होंने सत्ता की दौड़ में सीएम प्रेम सिंह तमांग (गोले) को वास्तव में चुनौती दी है। CM गोले सिक्किम की महिला मतदाताओं को अपनी पार्टी की ओर कैसे आकर्षित कर पाएंगे, यह देखने वाली बात होगी। हालांकि, यह तो 2 जून को ही पता चलेगा सिक्किम की महिलाएं किसका समर्थन करती हैं।

#anugamini #sikkim

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