पहाड़ों में नहीं खिलते है कमल : कला राई
गंगटोक । हिमालयी राज्य सिक्किम में 19 अप्रैल को होने वाले लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों को लेकर सरगर्मी बढ़ती जा रही है। खास कर सत्ताधारी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) द्वारा गठबंधन से अलग होकर अपने-अपने उम्मीदवारों के साथ चुनावी मैदान में ताल ठोकने से मुकाबला और दिलचस्प हो गया है। वर्तमान में दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर खुल कर आरोप-प्रत्यारोप में लगी हैं।
भाजपा जहां राज्य में राष्ट्रवाद और केंद्र के कल्याणकारी कार्यों का हवाला देते हुए सिक्किम में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है, वहीं, एसकेएम, एसडीएफ और नई नवेली सीएपीएस जैसी पार्टियां मुखरता से भाजपा की आलोचना कर रही हैं। उनके अनुसार, भाजपा को सत्ता से दूर रखना ही राज्य के हित में है, अन्यथा राज्य को मिले विशेष दर्जे और अनुच्छेद 371-एफ के तहत मिली सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
गौरतलब है कि निवर्तमान सिक्किम विधानसभा में भाजपा के 12 विधायक थे, जिनमें से दस विपक्षी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट से आए थे, जबकि दो अन्य ने एसकेएम के साथ गठबंधन में अक्टूबर 2019 में हुए विधानसभा उपचुनाव जीते थे। बहरहाल, भाजपा के उन 12 विधायकों में से पांच ने पार्टी छोड़ दी है, जिनमें से तीन एसकेएम में शामिल होकर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, शेष सात भाजपा विधायकों में से केवल दो को ही विधानसभा चुनाव में टिकट दिया गया है। भाजपा सिक्किम में 30 विधानसभा सीटों और एकमात्र लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ रही है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डीआर थापा को विश्वास है कि सिक्किम के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर भरोसा जताते हुए राष्ट्रीय मुख्यधारा में शामिल होकर विकास और कल्याण कार्यों के लिए भगवा पार्टी का चुनाव करेंगे। थापा ने कहा, सिक्किम के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्तर पर चल रही विकास प्रक्रिया में भागीदार बनकर शेष भारत के साथ भावनात्मक संबंध स्थापित करना चाहते हैं।
वहीं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने एसकेएम सरकार पर राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देने के अलावा भ्रष्टाचार, कुशासन और वित्तीय कुप्रबंधन का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने कहा कि एसकेएम को स्थानीय भाजपा से मुकाबला करने से रोका गया है, जबकि भाजपा ने स्पष्ट तौर पर चुनाव बाद गठबंधन का दरवाजा खुला रखने के गंभीर आरोप लगाए हैं।
इधर, एसकेएम नेता एवं अपर बुर्तुक से पार्टी उम्मीदवार Kala Rai ने DR Thapa एवं BJP पर तीखा हमला करते हुए कहा कि पहाडिय़ों में कमल नहीं खिलता। इससे जाहिर है कि सिक्किम में चुनावों में भाजपा की हार तय है।
दूसरी ओर, Sikkim Democratic Front (SDF) और Citizen Action Party (CAP) जैसे अन्य विपक्षी दलों ने भी भाजपा की आलोचना करते हुए सिक्किम के लोगों से उसे सत्ता से दूर रखने का आग्रह किया है। उनके अनुसार, यदि ऐसा नहीं हुआ तो सिक्किम को मिला विशेष दर्जा और अनुच्छेद 371-एफ के तहत पुराने कानूनों की रक्षा खतरे में पड़ जाएगी।
उल्लेखनीय है कि एसकेएम सहित सभी क्षेत्रीय दल सिक्किम में भाजपा की पहुंच की कोशिश से चिंतित और असहज हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि राज्य के मूल निवासियों के सामाजिक-सांस्कृतिक और राजनीतिक अधिकार प्रभावित होंगे, जहां ईसाई और बौद्ध लोगों की बड़ी संख्या है। देखा जाए तो 2019 के विधानसभा चुनावों तक सिक्किम में भाजपा का चुनावी ट्रैक रिकॉर्ड निराशाजनक ही रहा है। भगवा पार्टी ने 1994 में तीन सीटों पर चुनाव लड़कर और तीनों सीटों पर जमानत गंवाकर सिक्किम की चुनावी राजनीति में कदम रखा था। वहीं, 2019 के चुनावों में पार्टी ने 12 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे कुल मिलाकर 5700 वोट मिले थे और सभी सीटों पर उसे जमानत गंवानी पड़ी थी।
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