पणजी, 25 सितम्बर (एजेन्सी)। कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि नरेन्द्र मोदी सरकार महिला आरक्षण विधेयक को लागू करने की इच्छुक नहीं है और इसका केवल चुनावी हथकंडे के रूप में लाभ उठाना चाहती है।
#WomenReservationBill by BJP government is just election gimmick for upcoming LokSabha elections. – @Bhavyanmurthy while addressing Press Conference at GPCC office, Panjim pic.twitter.com/UfMskd0Xy7
— Goa Congress (@INCGoa) September 25, 2023
सोशल मीडिया और डिजिटल मंचों के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की राष्ट्रीय समन्वयक भव्या नरसिम्हामूर्ति ने यहां पत्रकारों से बात करते हुए मांग की कि सरकार बिना किसी देरी के विधेयक को लागू करे।
लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने संबंधी विधेयक को पिछले सप्ताह संसदीय मंजूरी मिल गई। हालांकि, यह आरक्षण जनगणना और परिसीमन कार्य पूरा होने के बाद ही लागू होगा।
PM मोदी महिला आरक्षण को आज लागू क्यों नहीं कर रहे हैं?
मोदी सरकार महिला आरक्षण को क्यों टाल रही है?
क्या मोदी सरकार का महिला आरक्षण भी हर खाते में 15 लाख रुपए की तरह एक जुमला है?
इस विषय पर गोवा से @Bhavyanmurthy जी, जम्मू से @RituChoudhryINC जी और चंडीगढ़ से @Shobha_Oza जी का… pic.twitter.com/sxnONQAqOG
— All India Mahila Congress (@MahilaCongress) September 25, 2023
नरसिम्हामूर्ति ने याद दिलाया कि 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने महिलाओं के लिए स्थानीय निकायों में 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का कानून पेश किया था।
कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘‘हालांकि, जब विधेयक पेश किया गया, तो भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी, यशवंत सिन्हा और राम जेठमलानी ने इसके खिलाफ मतदान किया था। विधेयक लोकसभा में पारित हो गया लेकिन राज्यसभा में केवल सात वोट से पारित नहीं हो सका।’’
उन्होंने कहा कि दिसंबर 1992 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंह राव ने संविधान में 73वें और 74वें संशोधन को पारित करने का समर्थन किया, जिसमें पंचायती राज संस्थानों, पंचायती राज संस्थानों के सभी स्तरों पर अध्यक्ष के कार्यालयों और शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित की गईं।
नरसिम्हामूर्ति ने दावा किया, ‘‘कई राज्यों में, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कोटे के भीतर महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित की गईं। आज, राजीव गांधी के दृष्टिकोण से 15 लाख महिलाएं सशक्त हुई हैं, जो भारत में लगभग 40 प्रतिशत निर्वाचित प्रतिनिधि हैं।’’
उन्होंने कहा कि 2010 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पेश किया और यह राज्यसभा में पारित हो गया।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, सर्वसम्मति नहीं बनने के कारण विधेयक लोकसभा में पारित नहीं हो सका।’’
उन्होंने कहा कि राज्यसभा में पेश या पारित किए गए विधेयक समाप्त नहीं होते हैं, इसलिए महिला आरक्षण विधेयक बरकरार रहा।
नरसिम्हामूर्ति ने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा के पास पूर्ण बहुमत होने के बावजूद मोदी सरकार ने साढ़े नौ साल तक विधेयक को लागू क्यों नहीं किया? सरकार विधेयक लागू करने में देरी की रणनीति के तहत जनगणना और परिसीमन की शर्तें लगा रही है।’’
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