देहरादून, 06 फरवरी । उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को पेश समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक में सहवासी संबंध यानि लिव-इन में रहने वाले जोड़ों के लिए अनिवार्य पंजीकरण का प्रस्ताव किया गया है, और ऐसा नहीं कराने पर उन्हें कारावास की सजा भुगतनी होगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा पेश समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड-2024 विधेयक में यह भी कहा गया है कि इस रिश्ते से उत्पन्न बच्चे को वैध माना जाएगा और उसे विवाह से पैदा बच्चे के समान ही उत्तराधिकार के अधिकार मिलेंगे।
उसके बाद ही वो घर या पीजी में साथ रह सकते हैं। यूसीसी के अनुसार दोनों युगलों को लिव इन रिलेशनशिप में रहने से पहले विवाहित व किसी अन्य के साथ इस रिलेशनशिप और प्रोहिबिटेड डिग्री ऑफ रिलेशनशिप में नहीं होने चाहिए। वहीं रजिस्ट्रार को रजिस्ट्रेशन की रसीद और पंजीकरण कराने वाले युगलों की सूचना उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी।
इस बीच लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले युगलों की कोई संतान पैदा होती है तो उसे जायज बच्चा माना जाएगा और बच्चे पर दोनों का समान अधिकार होगाइशके साथ ही पंजीकरण नहीं कराने पर युगलों को छह महीने का कारावास और 25 हजार का अर्थदंड या दोनों हो सकता है।
वहीं, इसके साथ ही उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को बहुप्रतीक्षित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पेश कर दिया गया। यूसीसी विधेयक के लिए बुलाये गये विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह विधेयक पेश किया। मुख्यमंत्री द्वारा विधेयक पेश किये जाने के इस दौरान सत्तापक्ष के विधायकों ने भारत माता की जय, वंदे मातरम और जय श्रीराम के नारे भी लगाये।
प्रदेश मंत्रिमंडल ने रविवार को यूसीसी मसौदे को स्वीकार करते हुए उसे विधेयक के रूप में सदन के पटल पर रखे जाने की मंजूरी दी थी। चार खंडों में 740 पृष्ठों के इस मसौदे को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री को सौंपा था ।
यूसीसी पर अधिनियम बनाकर उसे प्रदेश में लागू करना 2022 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा जनता से किए गए प्रमुख वादों में से एक था। वर्ष 2000 में अस्तित्व में आए उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कर इतिहास रचने के बाद भाजपा ने मार्च 2022 में सत्ता संभालने के साथ ही मंत्रिमंडल की पहली बैठक में यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दे दी थी ।
कानून बनने के बाद उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा। गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनों से ही यूसीसी लागू है।यूसीसी के तहत प्रदेश में सभी नागरिकों के लिए एकसमान विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, जमीन, संपत्ति और उत्तराधिकार के कानून लागू होंगे चाहे वे किसी भी धर्म को मानने वाले हों । (एजेन्सी)
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