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जाति- पंथ और भाषा से ऊपर उठकर समाज में सद्भाव बढ़ाने की ज़रूरत : मोहन भागवत

नई दिल्ली (ईएमएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने संगठन के सभी स्वयंसेवकों से जाति, पंथ, क्षेत्र और भाषा से परे विभिन्न समूहों के बीच मैत्री बढ़ाने के लिए काम करने की अपील की है। रविवार को यहां एक बौद्धिक कार्यक्रम में भाग लेते हुए उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक समाज के कल्याण के लिए उत्प्रेरक का काम करते हैं।

आरएसएस के सरसंघचालक भागवत ने सामाजिक बदलाव के लिए पंच परिवर्तन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सामाजिक प्रगति के लिए यह आवश्यक पांच प्रमुख परिवर्तन हैं। इनमें सामाजिक सद्भाव, पारिवारिक मूल्य, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी प्रथाएं और नागरिक कर्तव्य शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सभी हिंदुओं को आपसी सम्मान और सहयोग के माध्यम से विभिन्न उपयोगों के लिए समान मंदिर, श्मशान और जल को साझा करना चाहिए।

आरएसएस की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, भागवत ने कहा कि समाज में विभिन्न जातीय समूहों के बीच सतत सांप्रदायिक सद्भाव और रिश्तेदारों और कुलों के बीच सद्भावना ही राष्ट्र को सकारात्मक दिशा और परिणाम की ओर ले जाएगी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि पर्यावरण की रक्षा के लिए पूरे समाज को जल संरक्षण, पौधारोपण और प्लास्टिक के बर्तनों का उपयोग न करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

साथ ही संघ प्रमुख ने कहा कि हर भारतीय को भोजन, आवास, यात्रा और यहां तक आत्म-अभिव्यक्ति से मेल खाने वाली भाषा का उपयोग करना चाहिए। दैनिक कार्यों में विदेशी भाषा का उपयोग करने के बजाय मातृभाषा में बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने फिर कहा कि नागरिकों को पारंपरिक सामाजिक मानदंडों का पालन करना चाहिए। संघ प्रमुख असम के छह दिन के दौरे पर हैं।

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